सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है की ब्लोगिंग है क्या? हकीकत मैं यह डायरी लिखना है. डायरी लिखने की आदत से सभी वाकिफ हैं और वर्षों से पढ़े लिखे अपनी डायरी के माध्यम से अपने विचारों को, पेश करते रहे हैं और आगे आने वाली उनकी नस्ल उसका फ़ाएदा भी लेती रही है. फर्क इतना है की पहले की डायरी सार्वजनिक डायरी नहीं हुआ करती थी और ब्लोगिंग कहते है सार्वजनिक डायरी लिखने को जिसका सही इस्तेमाल समाज को अपनी विचारों, तजुर्बों के ज़रिये तुरंत फ़ाएदा पहुँचाया कर किया जा सकता है..
आज ब्लॉगजगत मैं ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी कविताओं, गजलों और लेखों के माध्यम से समाज को बहुत कुछ दे रहे हैं, सामाजिक सरोकारों से जुड़ के अपनी ब्लोगिंग को सार्थक बना रहे हैं. आज ब्लॉगजगत की ब्लोगर सम्मेलनों मैं भी सामाजिक सरोकारों से जुड़ के सार्थक ब्लोगिंग करने के विषयों पे भी चर्चा होने लगी है. लेकिन हकीकत मैं इस पर वही लोग काम नहीं कर पा रहे जो सम्मेलनों मैं इस विषय पे चर्चा करते हैं , शायद इस कारण दुसरे ब्लोगर से अधिक सहयोग का न मिलना है..
ऐसे बहुत से लोग है जिनका नाम ब्लॉगजगत का जाना पहचाना है लेकिन सामाजिक सरोकारों से जुड़ने की जगह, एक दुसरे की चापलूसी, या बुराई केवल अधिक टिप्पणी के शौक मैं कर के, अपना और दूसरों का वक़्त बर्बाद करते है. यही लोग सामाजिक सरोकारों से जुड़ के काम करने वालों की राह मैं भी रुकावटें पैदा करते हैं और इसके लिए सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति की कमियां तलाशने और बुराइयां तलाशने मैं खुद का सारा समय लगा दिया करते हैं. और जैसे ही कोई कमी बुराई या ग़लती उस सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति मैं मिली की यह अपने ब्लॉग की शान उस व्यक्ति को नाम से नसीहतें , हिदायतें करने मैं महसूस करते हैं. और नतीजे मैं उस सामाजिक सरोकार को नुकसान पहुंचा देते हैं, जो की उनका मकसद हुआ करता है.
यह ऐसा क्यों करते हैं? क्यों की यह जानते हैं, कोई भी व्यक्ति देवदूत नहीं , जिसमें कोई बुराई, कमी न हो या जो ग़लतियाँ न करता हो.
सार्थक ब्लोगिंग यदि सामाजिक सरोकारों से जुडी है तो आप के रास्ते मैं रुकावट पैदा करने वाला कभी सामने से हमला नहीं करेगा, क्यों की यदि आप ग़रीबों के लिए काम कर रहे हैं, औरतों पे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं, समाज मैं अमन और शांति की बात कर रहे हैं,समाज मैं मीडिया के ज़रिये बढती अश्लीलता को रोकने की बात करते हैं तो जो भी आप के इस मुद्दे के खिलाफ बोलेगा वो स्वं ही बेनकाब हो जाएगा. इसी कारण लोग बहाने तलाशते हैं, अफवाहें फैलाते हैं, नेक काम करने वाले को हतोत्साहित करके, बदनाम करके उस को नेकी करने से रोकने की कोशिश किया करते हैं.
इसलिए सभी ब्लोगर भाइयों से अनुरोध है की सामाजिक सरोकारों से जुड़ के सार्थक ब्लोगिंग करें और ऐसा ब्लोगर का समूह बना लें जो समाज को कुछ दे रहे हैं और आपस मैं एक दुसरे का सहयोग करें और दूसरों को प्रोत्साहित भी करें.
यदि कोई व्यक्ति पूर्ण मनोयोग से कार्य कर रहा होता है और अगर आप उसे प्रोत्साहित करेंगें तो निश्चय ही वह व्यक्ति दुगुनी शक्ति के साथ अधिक उत्साह के साथ अपने कार्य को करेगा . इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति अच्छा काम कर रहा होता है और आप उसके काम में कमियां निकलना शुरू कर दें और उसे हतोत्साहित करना शुरू कर दें तो वह व्यक्ति हताश हो जायेगा और उसके काम की गति रुक जाएगी और वह उदास हो जायेगा .
हम सभी को इस हकीकत को समझते हुए समाजिक सरोकारों से जुड़े ब्लोगर के उत्साह को बढ़ाना चाहिए.
साल २०१० का अंतिम सप्ताह भी पहले सप्ताहों की तरह "अमन के पैग़ाम" को बहुत से अच्छे लेख़ और कविताएँ दे गया. आप का विश्वास अमन के पैग़ाम की एक बड़ी कामयाबी है. अमन का पैग़ाम से मैंने यह कोशिश की के सभी धर्म, जाती,शहर के हर छोटे बड़े ब्लोगर के विचार पेश किये जाएं. और यह साबित कर दिया व्यक्ति कोई भी हो "अमन और शांति" चाहता है. अमन का पैग़ाम का पता बदल जाने से कुछ दिन इसको लोगों तक पहुँचाने मैं कुछ दिक्क़त हुई और बहुत से लेख़ सभी तक नहीं पहुँच सके. आप सभी नए ब्लॉग अमन के पैग़ाम को वैसे ही follow करें जैसे पहले वाले ब्लॉग को किया था. जिन लोगों के लेख़ पेश किये जा चुके हैं उन सभी से निवेदन है की अपने बारे मैं भी कुछ भेज दें , जिस से इन लेखों को एक किताबी शक्ल भी दी जा सके आपके परिचय के साथ.. जो लोग अपने लेख़ , कविता या विचार "अमन का पैग़ाम " को भेजना चाहें , उनका स्वागत है , और ऐसा कर के आप सभी लोगों को यह सोंचने पे मजबूर कर देंगे की "अमन और शांति" हर हाल मैं संभव है....लेख़ के साथ तस्वीर और अपना परिचय देने ना भूलें. आप सभी के सहयोग के लिए बहुत बहुत शुक्रिया…एस.एम.मासूम |
14 comments:
मासूम भाई बहुत गंभीर और सार्थक विचार ...और ब्लोगिंग की सार्थकता पर विचार करने के लिए बहुत- बहुत आभार ....शुक्रिया
आपके विचारों की क़द्र करता हूँ..
पर मैं ब्लोगिंग को बस अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का एक माध्यम मानता हूँ.. और हिन्दी में लिखने में एक आत्मसंतुष्टि मिलती है इसलिए हिन्दी में लिखता हूँ.. जो भी अच्छा, बुरा लगे उसे लिखना चाहिए.. उससे कुछ अच्छा परिणाम निकल जाए किसी के लिए तो बहुत अच्छी बात है.
बाकी जब समाज के लिए कुछ करने की बात आती है तो मैं सीधे जाके करने में ज्यादा विश्वास रखता हूँ.. क्योंकि अभी भी अधिकाँश जरूरतमंद 'ब्लॉग क्या है' ये नहीं जानते..
सतीश चन्द्र सत्यार्थी जी आप के विचारों से मैं भी सहमत हूँ. बस एक बात और कह देना चाहता हूँ की जो बुराई जिस माध्यम से पहिली जा रही है उसको उसी माध्यम से दूर करने की ज़रुरत हुआ करती है. ऐसी बहुत सी बुराइयां हैं जो मीडिया या इन्टरनेट के इस्तेमाल से फैलाया जाता है इनका जवाब भी सामाजिक सरोकारों से जुडी ब्लोगिंग से दिया जाना चाहिए.
आपने सही कहा है कि लोग सामाजिक सरोकारों से जुड़ के सार्थक ब्लोगिंग करें और ऐसा ब्लोगर का समूह बना लें जो समाज को कुछ दे और आपस मैं एक दूसरे का सहयोग करें और दूसरों को प्रोत्साहित भी करें... सार्थक लेख
आपके आहवान से सहमत। एकमत।
पर .....
सबके अपने-अपने सरोकार हैं जी।
आपके आहवान से सहमत। एकमत।
पर .....
सबके अपने-अपने सरोकार हैं जी।
bilkul sahi kaha aapne masoom ji..
आपने सही कहा है कि लोग सामाजिक सरोकारों से जुड़ के सार्थक ब्लोगिंग करें
सौ आने सच्ची बात कही मासूम भाई । आज सामाजिक सरोकार के उद्देश्य को ब्लॉगिंग से जोड कर उसे सही मायने में सार्थकता प्रदान करने की जरूरत है
मेरा नया ठिकाना
बहुत ही सुन्दर,सार्थक और सराहनीय विचार तथा प्रस्तुती......ब्लोगिंग का प्रयोग सामाजिक सरोकार के लिए ईमानदारी से करके हमसब इस देश और समाज को आने वाले वक्त में भ्रष्ट मंत्रियों और कुकर्मी उद्योगपतियों से बचा सकते हैं.....
@ मनोज जी !
@ अरुण जी !
बेशक हरेक के अपने अपने सरोकार होते हैं जो कि अलग अलग होते हैं लेकिन कुछ सरोकार साझा होते हैं जैसे कि शिक्षा सेहत रोजगार विकास और सुरक्षा और इन सबकी बुनियाद है अमन ।
साझा सरोकार के लिए साझा कोशिशें ज़रूरी हैं ।
जनाब मासूम साहब ! आपके प्रोफ़ाइल में नए नज़र आने वाले
blogsansaar
को देखा , अच्छा लगा बिल्कुल किसी छोटे से निजी एग्रीगेटर की तरह । आपने उसमें सार्थक ब्लागर्स को एक जगह जमा करके हिंदी ब्लागिंग का भी भला किया है और हिंदी ब्लाग रीडर्स का भी ।
यह पोस्ट सार्थक लेखन के बारे में भी बता रही है और खुद भी सार्थक लेखन का एक उदाहरण है ।
इतनी सुंदर पोस्ट ब्लाग जगत को देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
ऐसा लगता है मानो आपने मेरी पीड़ा को ही स्वर दे दिया हो ।
मैं चाहता हूं कि आप इस ब्लाग को हिंदी के उन तमाम एग्रीगेटर्स पर जोड़ दीजिए जिनका ज़िक्र आज
blogbukhar.blogspot.com
पर किया गया है ।
मेरे ब्लागअहसास की पर्तें की पोस्ट पर कमेंट देने के लिए शुक्रिया ।
सुन्दर विचार!
एस.एम.मासूम जी, आपकी इस बात से सहमत हूँ.. ब्लॉग जगत में अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसके विरुद्ध में जरुर लिखना चाहिए. क्योंकि ब्लॉग की गंदगी के विरुद्ध ब्लोगिंग के जरिये ही लड़ा जा सकता है...
बहुत अच्छी भावनाएं, बहुत अच्छे विचार और बहुत अच्छा प्रस्तुतिकरण . बधाई . नए वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं .
Post a Comment