एक अनुरोध है सभी ब्लोगर भाइयों से कृपया "अमन के पैग़ाम" को अपने जाती झगड़ों मैं ना घसीटें. और यह उनका मसला भी नहीं की "अमन के पैग़ाम" पे कौन आ रहा है और कौन नहीं आ रहा है? कोई टिप्पणी करता है तो क्यों और नहीं करता है तो क्यों नहीं करता है?
"अमन के पैग़ाम का पुराना पता बदल जाने से इस्पे आने वाले लोगों की टिप्पणी कम हो गयी और लोगों को नया link तलाशने मैं कुछ दिन दिक्क़त भी होगी. टिपण्णी कम होने का दूसरा कारण यह भी है की एक पोस्ट केवल २० से २२ घटे ही आप्गे रहती है और उसके बाद नयी पोस्ट आ जाती है..
आश्चर्य की बात है, "अमन के पैग़ाम" की टिप्पणी कम क्यों हुई और अधिक क्यों थी यह भी एक मुद्दा बन रहा है क्यों? अमन के पैग़ाम से कोई शिकायत हो या मशविरा हो तो यहाँ दें या मुझे मेल करें, अपने ब्लॉग पे बेवजह के अनुमान लगा के पोस्ट डालने मैं वक़्त बर्बाद ना करें.
" मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से !
मुमकिन हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से "
सतीश जी ने यह पंक्तियाँ कही थी. और मैं उनसे सहमत हूँ यह लंगूर सभी धर्म मैं है और यही लंगूर "अमन के पैग़ाम" को फैलने से रोकना चाहते हैं ,और इसके लिए तरह तरह की कारण बता रहे हैं . यहाँ तक की जब कोई कारण उनको मेरी पोस्ट, टिप्पणी और पैग़ाम मैं नहीं मिला तो यह कह दिया की मैं अनवर जमाल का आदमी हूँ. ऐसे नफरत पे सौदागर हमेशा Lies Destroyer (Fake Id ) का या anunymous का इस्तेमाल किया करते हैं. ऐसे लोगों से मैं यही कहूँगा भाई कोई तक्लेफ़ मेरे ब्लॉग से है तो बोलो और शिकायत दर्ज करो यहाँ बेवजह के शक डाल के तुम समाज का नुकसान कर रहे हो और अपना भी कीमती समय बर्बाद कर रहे हो..
सतीश जी की इस टिप्पणी से भी मैं पूरी तरह सहमत हूँ :--
“कोई सच्चा और सही व्यक्ति दूसरे का मज़ाक नहीं उडाएगा यह कार्य वही करते हैं जो खुद दूषित हैं ! चाहे वह काम किसी भी धर्म के खलाफ क्यों न किया जाए “
लेकिन सतीश जी कहते सब है, जब करने का समय आता है तो लोग मित्र, बंधू, जाती, शहर, ना जाने क्या क्या , देख के एक दूसरे का सहयोग कर जाते हैं, हक और इन्साफ नहीं देखते. और इसी कारण से समाज मैं असंतुलन पैदा होता है..जाने अनजाने मैं नफरत फैलाने वालों को मदद मिलती है और शांति सन्देश देने वालों की राह मैं कांटे पैदा होते हैं..
मैं आशा करता हूँ, आप सब भी अमन और शांति के पैग़ाम के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों से एक सवाल अवश्य पूछेंगे. अमन के पैग़ाम का फाएदा हो या ना हो क्या कोई नुकसान है जो आप उसके खिलाफ बोल रहे हैं.
अमन का पैग़ाम किसी भी ब्लोगर की टिप्पणी को delete नहीं करता है और यदि किसी टिप्पणी पे एतराज़ हो तो वहीं पे अपनी आपत्ति दर्ज करवा दें. वहां चुप रहके बाहर दूसरे ब्लॉग से उसको मुद्दा बना लेना शक का कारण बना करता है.. मैं हर ब्लोगर के पैग़ाम का स्वागत करता हूँ. . केवल शर्त एक है शांति सन्देश दें, नफरत के पैग़ाम ना दें.
मुझे ख़ुशी है , यह सभी ने कहा की "अमन का पैग़ाम" एक अच्छा काम कर रहा है और आप यह काम करते रहें.
यह लेख़ अवश्य पढ़ें , यह आप को सफ़ेद पोश मज़हब के लंगूरों की पहचान बताएगा .
सभी ब्लोगर साथियों से मेरा निवेदन है आज तक आप को "अमन के पैग़ाम" से शांति सन्देश और समाज की बुराईयों को ख़त्म करने के लेख़ मिलें आप उनको पढ़ें, जिस किन कभी ऐसा लगे की कुछ ग़लत हो रहा है, जाने या अनजाने मैं, उसी समय यहाँ शिकायत दर्ज करवा दें और अगर आप को वहाँ भी जवाब ना मिले तो अपने ब्लॉग से या टिप्पणी से जहाँ चाहें आवाज़ उठाएं..
आप को कभी "अमन के पैग़ाम" से शिकायत नहीं होगी यदि आप इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं तो और यदि शैतानियत किसी का धर्म है तो वोह यकीनन अफवाह, भी फैलेगा और इस शांति सन्देश को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश भी करेगा.. आप को यह ब्लॉग (बेज़बान) इंसान और नफरत के सौदागरों का फर्क बग़ैर कुछ कहे बता देगा...
..स.म. मासूम
"अमन के पैग़ाम का पुराना पता बदल जाने से इस्पे आने वाले लोगों की टिप्पणी कम हो गयी और लोगों को नया link तलाशने मैं कुछ दिन दिक्क़त भी होगी. टिपण्णी कम होने का दूसरा कारण यह भी है की एक पोस्ट केवल २० से २२ घटे ही आप्गे रहती है और उसके बाद नयी पोस्ट आ जाती है..
आश्चर्य की बात है, "अमन के पैग़ाम" की टिप्पणी कम क्यों हुई और अधिक क्यों थी यह भी एक मुद्दा बन रहा है क्यों? अमन के पैग़ाम से कोई शिकायत हो या मशविरा हो तो यहाँ दें या मुझे मेल करें, अपने ब्लॉग पे बेवजह के अनुमान लगा के पोस्ट डालने मैं वक़्त बर्बाद ना करें.
" मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से !
मुमकिन हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से "
सतीश जी ने यह पंक्तियाँ कही थी. और मैं उनसे सहमत हूँ यह लंगूर सभी धर्म मैं है और यही लंगूर "अमन के पैग़ाम" को फैलने से रोकना चाहते हैं ,और इसके लिए तरह तरह की कारण बता रहे हैं . यहाँ तक की जब कोई कारण उनको मेरी पोस्ट, टिप्पणी और पैग़ाम मैं नहीं मिला तो यह कह दिया की मैं अनवर जमाल का आदमी हूँ. ऐसे नफरत पे सौदागर हमेशा Lies Destroyer (Fake Id ) का या anunymous का इस्तेमाल किया करते हैं. ऐसे लोगों से मैं यही कहूँगा भाई कोई तक्लेफ़ मेरे ब्लॉग से है तो बोलो और शिकायत दर्ज करो यहाँ बेवजह के शक डाल के तुम समाज का नुकसान कर रहे हो और अपना भी कीमती समय बर्बाद कर रहे हो..
सतीश जी की इस टिप्पणी से भी मैं पूरी तरह सहमत हूँ :--
“कोई सच्चा और सही व्यक्ति दूसरे का मज़ाक नहीं उडाएगा यह कार्य वही करते हैं जो खुद दूषित हैं ! चाहे वह काम किसी भी धर्म के खलाफ क्यों न किया जाए “
लेकिन सतीश जी कहते सब है, जब करने का समय आता है तो लोग मित्र, बंधू, जाती, शहर, ना जाने क्या क्या , देख के एक दूसरे का सहयोग कर जाते हैं, हक और इन्साफ नहीं देखते. और इसी कारण से समाज मैं असंतुलन पैदा होता है..जाने अनजाने मैं नफरत फैलाने वालों को मदद मिलती है और शांति सन्देश देने वालों की राह मैं कांटे पैदा होते हैं..
मैं आशा करता हूँ, आप सब भी अमन और शांति के पैग़ाम के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों से एक सवाल अवश्य पूछेंगे. अमन के पैग़ाम का फाएदा हो या ना हो क्या कोई नुकसान है जो आप उसके खिलाफ बोल रहे हैं.
अमन का पैग़ाम किसी भी ब्लोगर की टिप्पणी को delete नहीं करता है और यदि किसी टिप्पणी पे एतराज़ हो तो वहीं पे अपनी आपत्ति दर्ज करवा दें. वहां चुप रहके बाहर दूसरे ब्लॉग से उसको मुद्दा बना लेना शक का कारण बना करता है.. मैं हर ब्लोगर के पैग़ाम का स्वागत करता हूँ. . केवल शर्त एक है शांति सन्देश दें, नफरत के पैग़ाम ना दें.
नफरत इंसान की बुराईयों से करो ना की इंसान से....
मुझे ख़ुशी है , यह सभी ने कहा की "अमन का पैग़ाम" एक अच्छा काम कर रहा है और आप यह काम करते रहें.
यह लेख़ अवश्य पढ़ें , यह आप को सफ़ेद पोश मज़हब के लंगूरों की पहचान बताएगा .
सभी ब्लोगर साथियों से मेरा निवेदन है आज तक आप को "अमन के पैग़ाम" से शांति सन्देश और समाज की बुराईयों को ख़त्म करने के लेख़ मिलें आप उनको पढ़ें, जिस किन कभी ऐसा लगे की कुछ ग़लत हो रहा है, जाने या अनजाने मैं, उसी समय यहाँ शिकायत दर्ज करवा दें और अगर आप को वहाँ भी जवाब ना मिले तो अपने ब्लॉग से या टिप्पणी से जहाँ चाहें आवाज़ उठाएं..
आप को कभी "अमन के पैग़ाम" से शिकायत नहीं होगी यदि आप इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं तो और यदि शैतानियत किसी का धर्म है तो वोह यकीनन अफवाह, भी फैलेगा और इस शांति सन्देश को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश भी करेगा.. आप को यह ब्लॉग (बेज़बान) इंसान और नफरत के सौदागरों का फर्क बग़ैर कुछ कहे बता देगा...
..स.म. मासूम
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