क्या यहाँ कट्टरवादीओं का राज है? इस सवाल के करते ही हमारे एक दोस्त बोले भाई कट्टरवादी से समाज को क्या तकलीफ?? मैंने कहा भाई सुना है इन्ही के कारण दो इंसानों मैं नफरत फैलती है. हमारे दोस्त ने कहा, हाँ तब तो यह फ़िक्र करना आवश्यक है. कहीं कट्टरवादीओं का राज हुआ तो इंसानियत की कोई कीमत ही नहीं रहेगी.
चलो पता करते हैं कट्टरवादी कौन है?
एक महाशय अपने ब्लॉग मैं लिखते हैं, भला हुआ मैं हिन्दू ना हुआ. वरना ऐसे पूजा कर रहा होता और वैसे कर रहा होता...हिन्दू भाई को अच्छा नहीं लगा और सच भी है, किसी को अच्छा नहीं लगेगा यदि उसके धर्म को बुरा कहा जाए. हिन्दू भाई ने कहा हम सब इंसान हैं , धर्म सभी इंसानियत सीखाता है.
उस भाई ने कहा बंद करो यह धर्म वरम, पैग़ाम की बातें , सुन सुन के तंग हो चुका हूँ. जाओ देखो दुनिया बहुत सुंदर है प्रकृति की सुन्दरता का मज़ा उठाओ..
उस हिन्दू भाई के दिल मैं यह सवाल अवश्य आएगा की भाई जब आप ने किसी के धर्म को बुरा कहा, तब यही मशविरा खुद को क्यों नहीं दिया? जब मैंने इंसानियत की बात की, अमन और शांति की बात की तो आप को यह मशविरा याद आया...? और यही सवाल उस हिन्दू के दिल मैं सामने वाले के लिए एक नफरत पैदा कर देगा.
क्या सामने वाला इंसान कट्टरवादी नहीं?
अभी यह सब सवाल और जवाबात हो ही रहे थे की एक और व्यक्ति आ गया. उसने पुछा क्या हो रहा है भाई. दोनों ने बताया पूरा किस्सा. उस व्यक्ति ने शांति सन्देश देने वाले से पुछा भाई आप क्या पैग़म्बर हैं या देवदूत? आप चुप रहें अपने घर मैं आराम से बैठ के शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी का लुत्फ़ उठाएं.
क्या यह कट्टरवादीओं की सहायता करना नहीं और क्या कट्टरवादीओं की सहायता करने वाला कट्टरवादी नहीं?
Majority Always Rules ऐसा सुना है. अब majority शांति सन्देश देने वाले का साथ देगी तो अमन और शांति लोगों के दिलों मैं होगी और यदि Majority अमन और शांति की बात करने वालों के खिलाफ काम करेगी तो कट्टरवादी कहलाएगी और नतीजे मैं नफरत फैलेगी.
चलो पता करते हैं कट्टरवादी कौन है?
एक महाशय अपने ब्लॉग मैं लिखते हैं, भला हुआ मैं हिन्दू ना हुआ. वरना ऐसे पूजा कर रहा होता और वैसे कर रहा होता...हिन्दू भाई को अच्छा नहीं लगा और सच भी है, किसी को अच्छा नहीं लगेगा यदि उसके धर्म को बुरा कहा जाए. हिन्दू भाई ने कहा हम सब इंसान हैं , धर्म सभी इंसानियत सीखाता है.
उस भाई ने कहा बंद करो यह धर्म वरम, पैग़ाम की बातें , सुन सुन के तंग हो चुका हूँ. जाओ देखो दुनिया बहुत सुंदर है प्रकृति की सुन्दरता का मज़ा उठाओ..
उस हिन्दू भाई के दिल मैं यह सवाल अवश्य आएगा की भाई जब आप ने किसी के धर्म को बुरा कहा, तब यही मशविरा खुद को क्यों नहीं दिया? जब मैंने इंसानियत की बात की, अमन और शांति की बात की तो आप को यह मशविरा याद आया...? और यही सवाल उस हिन्दू के दिल मैं सामने वाले के लिए एक नफरत पैदा कर देगा.
क्या सामने वाला इंसान कट्टरवादी नहीं?
अभी यह सब सवाल और जवाबात हो ही रहे थे की एक और व्यक्ति आ गया. उसने पुछा क्या हो रहा है भाई. दोनों ने बताया पूरा किस्सा. उस व्यक्ति ने शांति सन्देश देने वाले से पुछा भाई आप क्या पैग़म्बर हैं या देवदूत? आप चुप रहें अपने घर मैं आराम से बैठ के शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी का लुत्फ़ उठाएं.
क्या यह कट्टरवादीओं की सहायता करना नहीं और क्या कट्टरवादीओं की सहायता करने वाला कट्टरवादी नहीं?
Majority Always Rules ऐसा सुना है. अब majority शांति सन्देश देने वाले का साथ देगी तो अमन और शांति लोगों के दिलों मैं होगी और यदि Majority अमन और शांति की बात करने वालों के खिलाफ काम करेगी तो कट्टरवादी कहलाएगी और नतीजे मैं नफरत फैलेगी.
यहाँ इस लेख़ मैं हिन्दू का मतलब केवल हिन्दू नहीं बल्कि यह व्यक्ति किसी भी धर्म का हो सकता है..
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