एक शब्द बचपन मैं हमारे शिक्षक महोदय बहुत इस्तेमाल करते थे, "बडबोले बतोले बाज़ ' वो बताते थे की अधिकतर जिनके बच्चे काम अंकों से पास हुआ करते हैं उनके माता पिता अधिकतर अपने कलुए के बारे मैं बड़ी बड़ी बातें करते मिल जाया करते हैं और नतीजे मैं अपने बच्चे का और नुकसान करते हैं. जब कभी इलेक्शन भी आ जाए ,और आप अखबार पलटने लगें तो नेताओं का वही बडबोलापन, वही गलीज छींटाकशी. एक दूसरे पर पढने को मिलेगी. बडबोले नेता अपने इस हुनर से भोली भाली जनता को कैसे बेवकूफ बनाते हैं, जग ज़ाहिर है. लेकिन हिन्दुस्तान की जनता इस उम्मीद पे बेवकूफ बनती रहती है की शायद जो कह रहा है, अगली बार कर दिखाए ???
हम इस बात को भूल जाते है की बडबोला वही व्यक्ति होता है, जिसको कुछ करना नहीं होता. बडबोला पन, दिखावा करना ,झूटी शान बताना, चापलूसी यह सब मौक़ा परस्त और दुनिया परस्त लोगों के मिजाज़ मैं मिलता है.........यह सब जानते हैं की अच्छा इंसान वही है, जिसकी तारीफ दुसरे करें, फिर भी इस समाज के हर कोने मैं आप को मियाँ मिठ्ठू मिल जाएंगे. यह खुद ही ना जाने कहां दान करते हैं और खुद ही दानवीर का मेडल लगा के समाज के सामने खड़े हो जाते हैं. यह सस्ती शोहरत के भूखे लोग हैं. जहाँ शोहरत ना मिलनी हो यह वहाँ कुछ भी नेकी नहीं करते. अक्सर ऐसे लोगों के परिवार वालों को इनसे शिकायत रहती है, की यह उनके लिए वक़्त नहीं निकालते. जंगल मैं मोर नाचा किसने देखा. इनके लिए इनका परिवार जंगल जैसा ही हुआ करता है.
ऐसे लोगों की एक पहचान यह भी है, अक्सर यह दूसरों के उन गुणों के गुणगान करते पाए जाते हैं, जो उसमें है ही नहीं. यह कभी सत्य का साथ नहीं देते, क्योंकि यह जानते हैं, सत्य के साथी कम हुआ करते हैं. इनसे मदद माग लें कभी, यकीन जानिए बात सारे जहाँ को यह घूम घूम के बाटेंगे. मदद १० रू की और ढिंढोरा इतना की आप भी घबरा जाएं की यह किस से मदद मांग ली? सारे समाज को यह आप के हमदर्द बन के आपकी तंगी और ग़ुरबत की कहानी सुनाएंगे . दूसरों से कहते मिलेंगे , बेचारे के ऐसे दिन आ गए. खुद दानवीर बनते समय यह कभी नहीं सोंचते की सामने वाले की इज्ज़त भी नीलाम कर रहे हैं. आज इस तरक्की की युग मैं आज भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो यदि कभी अपने जीवन मैं विदेश यात्रा कर आये हैं तो जीवन भर उस एल्बम को दिखाते रहेंगे, अपना प्रभाव सभी लोगों ज़माने के लिए. और जब लोग वाह वाह करते हैं तो वो यह भी नहीं समझ पाते की लोग मज़ा ले रहे हैं.कुछ ऐसे भी मिल जाएंगे की दिन भर दूसरों को अपनी मक्कारी से, झूटी शान से, नीचा दिखने की कोशिश करते रहेंगे और नारे लगाएंगे की वोह किसी का दुःख बाँट सकें तो अपने को कामयाब इंसान समझेंगे.
ऐसा यह लोग इस कारण से किया करते हैं क्यों की इनको मालूम है इनके पास न तो ज्ञान है, और न ही कोई ऐसा गुण की लोग इनके तरफ आकर्षित हो सकें.
मैं ऐसे संस्थाओं से सहमत नहीं, जो ग़रीब बच्चों की मदद करती हैं और मदद की राशी देते वक़्त उस बच्चे की तस्वीर निकाल के ख़बरों के हवाले कर देते हैं. कोई उस बच्चे के मां बाप के दिल सी पूछे जो अपने ग़रीब बच्चे को मदद की राशी लेते देख रहा हो. किसी की ग़रीबी को समाज मैं आम कर देना मेरी नज़र मैं पाप है.जब एक इंसान किसी दुसरे इंसान के सामने हाथ फैलता है, मदद मांगता है तो उस से पहले ना जाने कितनी बार वो मरता है और कितनी बार फिर जीता है. सही मदद वही है, जो छिपा के की जाए. जो मदद दिखा के की जाए वोह झूटी शान का मात्र दिखावा है..
इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: तुम हरगिज़ अपनी सख़्तियाँ और परेशानियाँ लोगों पर ज़ाहिर न करो क्योकि उसका पहला असर ये होगा कि तुम ज़मीन पर गिर चुके हो और ज़माने के मुकाबले में शिकस्त खा चुके हो और तुम लोगों की नज़रों से गिर जाओगे और तुम्हारी शख़्सियत व वक़ार लोगों के दरमियान से ख़त्म हो जाएगा।
और अगर कोई मदद मांगने आ ही जाए. तो हजरत अली (अ.स) ने हमको सीखाया किसी गरीब की मदद एक हाथ से करो तो दुसरे हाथ को पता ना चले. हम हैं की जब तक अपनी झूटी शान के लिए सबको बता ना दें, लगता है मदद की ही नहीं..
लेकिन कौन समझाए इन झूटी शान के शौक़ीन बड़बोलों को? क्यों ना हम खुद ही अपनी इज्ज़त अपने हाथ वाली कहावत को अपना लें और इन बड़बोलों और झूटी शान दिखाने वालों की चापलूसी के बहकावे मैं ना आयें.......
यकीन जानिए इन झूटी शान के शौक़ीन लोगों की मदद जिस ने भी आज तक ली है, उसकी इज्ज़त इन्ही के हाथों नीलाम भी हुई है...
हम इस बात को भूल जाते है की बडबोला वही व्यक्ति होता है, जिसको कुछ करना नहीं होता. बडबोला पन, दिखावा करना ,झूटी शान बताना, चापलूसी यह सब मौक़ा परस्त और दुनिया परस्त लोगों के मिजाज़ मैं मिलता है.........यह सब जानते हैं की अच्छा इंसान वही है, जिसकी तारीफ दुसरे करें, फिर भी इस समाज के हर कोने मैं आप को मियाँ मिठ्ठू मिल जाएंगे. यह खुद ही ना जाने कहां दान करते हैं और खुद ही दानवीर का मेडल लगा के समाज के सामने खड़े हो जाते हैं. यह सस्ती शोहरत के भूखे लोग हैं. जहाँ शोहरत ना मिलनी हो यह वहाँ कुछ भी नेकी नहीं करते. अक्सर ऐसे लोगों के परिवार वालों को इनसे शिकायत रहती है, की यह उनके लिए वक़्त नहीं निकालते. जंगल मैं मोर नाचा किसने देखा. इनके लिए इनका परिवार जंगल जैसा ही हुआ करता है.
ऐसे लोगों की एक पहचान यह भी है, अक्सर यह दूसरों के उन गुणों के गुणगान करते पाए जाते हैं, जो उसमें है ही नहीं. यह कभी सत्य का साथ नहीं देते, क्योंकि यह जानते हैं, सत्य के साथी कम हुआ करते हैं. इनसे मदद माग लें कभी, यकीन जानिए बात सारे जहाँ को यह घूम घूम के बाटेंगे. मदद १० रू की और ढिंढोरा इतना की आप भी घबरा जाएं की यह किस से मदद मांग ली? सारे समाज को यह आप के हमदर्द बन के आपकी तंगी और ग़ुरबत की कहानी सुनाएंगे . दूसरों से कहते मिलेंगे , बेचारे के ऐसे दिन आ गए. खुद दानवीर बनते समय यह कभी नहीं सोंचते की सामने वाले की इज्ज़त भी नीलाम कर रहे हैं. आज इस तरक्की की युग मैं आज भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो यदि कभी अपने जीवन मैं विदेश यात्रा कर आये हैं तो जीवन भर उस एल्बम को दिखाते रहेंगे, अपना प्रभाव सभी लोगों ज़माने के लिए. और जब लोग वाह वाह करते हैं तो वो यह भी नहीं समझ पाते की लोग मज़ा ले रहे हैं.कुछ ऐसे भी मिल जाएंगे की दिन भर दूसरों को अपनी मक्कारी से, झूटी शान से, नीचा दिखने की कोशिश करते रहेंगे और नारे लगाएंगे की वोह किसी का दुःख बाँट सकें तो अपने को कामयाब इंसान समझेंगे.
ऐसा यह लोग इस कारण से किया करते हैं क्यों की इनको मालूम है इनके पास न तो ज्ञान है, और न ही कोई ऐसा गुण की लोग इनके तरफ आकर्षित हो सकें.
मैं ऐसे संस्थाओं से सहमत नहीं, जो ग़रीब बच्चों की मदद करती हैं और मदद की राशी देते वक़्त उस बच्चे की तस्वीर निकाल के ख़बरों के हवाले कर देते हैं. कोई उस बच्चे के मां बाप के दिल सी पूछे जो अपने ग़रीब बच्चे को मदद की राशी लेते देख रहा हो. किसी की ग़रीबी को समाज मैं आम कर देना मेरी नज़र मैं पाप है.जब एक इंसान किसी दुसरे इंसान के सामने हाथ फैलता है, मदद मांगता है तो उस से पहले ना जाने कितनी बार वो मरता है और कितनी बार फिर जीता है. सही मदद वही है, जो छिपा के की जाए. जो मदद दिखा के की जाए वोह झूटी शान का मात्र दिखावा है..
इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: तुम हरगिज़ अपनी सख़्तियाँ और परेशानियाँ लोगों पर ज़ाहिर न करो क्योकि उसका पहला असर ये होगा कि तुम ज़मीन पर गिर चुके हो और ज़माने के मुकाबले में शिकस्त खा चुके हो और तुम लोगों की नज़रों से गिर जाओगे और तुम्हारी शख़्सियत व वक़ार लोगों के दरमियान से ख़त्म हो जाएगा।
और अगर कोई मदद मांगने आ ही जाए. तो हजरत अली (अ.स) ने हमको सीखाया किसी गरीब की मदद एक हाथ से करो तो दुसरे हाथ को पता ना चले. हम हैं की जब तक अपनी झूटी शान के लिए सबको बता ना दें, लगता है मदद की ही नहीं..
लेकिन कौन समझाए इन झूटी शान के शौक़ीन बड़बोलों को? क्यों ना हम खुद ही अपनी इज्ज़त अपने हाथ वाली कहावत को अपना लें और इन बड़बोलों और झूटी शान दिखाने वालों की चापलूसी के बहकावे मैं ना आयें.......
यकीन जानिए इन झूटी शान के शौक़ीन लोगों की मदद जिस ने भी आज तक ली है, उसकी इज्ज़त इन्ही के हाथों नीलाम भी हुई है...
16 comments:
लाख टके की बात कही है आपने। रहीमन निज दुख निज मन राखिए। सही में एक हाथ को पता नहीं चलना चाहिए कि दूसरे हाथ ने क्या किया है। यही भारतीय सभ्यता है। हजारों साल से यही दान की परंपरा रही है कि बिना बोले बिना बताए दान करो। मगर क्या करें आजकल बिना नाम के दान कहां।
बेहतरीन बात कही आपने... मदद तो ऐसे ही होनी चाहिए कि इस हाथ से दें तो उस हाथ को खबर ना हो!
सच कहा आपने, अपनी झोंकने वालों से बच कर रहना चाहिये।
अपनी डफली अपना राज अलापने वालों से बच कर रहना चाहिए ....चिंतनीय पोस्ट ..शुक्रिया
सही मदद वही है, जो छिपा के की जाए. जो मदद दिखा के की जाए वोह झूटी शान का मात्र दिखावा है..
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यह पंक्तियाँ बहुत सार्थक हैं ...दिल पर असर कर गयी ...शुक्रिया
सौ फीसदी खरी बात
NAYA SAAL 2011 CARD 4 U
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please open it
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/”**I**”/
/ “MISS” /
/ “*U.*” /
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“LOVE”
“*IS*”
”LIFE”
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/ “LIFE” /
/ “*IS*” /
/ “ROSE” /
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“ROSE”
“**IS**”
“beautifl”
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/”beautifl”/
/ “**IS**”/
/ “*YOU*” /
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
नव वर्ष की हार्दिक बधाई ।
((1947 से अब तक)) हाँ अगर आप हैं नाखूश, आप हैं हताश राजनीतिज्ञों के रवैये से तो मन में मत रखिए अपनी बात, करिए उसे खूलेआम ताकि सच्चाई से रुबरु हो हम । गाँव हो या कस्बा या शहर लिख भेजिए सच्चाई हमें और निकलाइए राजनीतिक भड़ास अपने इस मंच पर । लिख भेजिए कोई भी सच्चाई जो करे बेपर्दा राजनीति को । हमारा पता है mithilesh.dubey2@gmail.com तो आईये हमारे साथ http://rajnitikbhadas.blogspot.com पर
बनी रहे आन, बान और शान.
bilkul sahi kaha hai apne. duniya jhuti shan ke sahare jee rahi hai
ब्लॉग संसार
हर तरह के आदमी समाज में रहते हैं .
दिखावेबाजों को पहचानते सब हैं लेकिन बुरा बनने से बचने के लिए मुंह पर कोई नहीं कहता और जो कह बैठता है .
वे उस पर चढ़ाई कर देते हैं और फिर लोगों के सामने ऐसा ज़ाहिर करते हैं जैसे कि वे उनकी भलाई की खातिर ही लड़ रहे हों.
दूसरों से भी कहते हैं कि मैं इधर से वार कर रहा हूँ आप भी दूसरी तरफ से लग जाओ .
लेकिन लाख अपील के बाद भी उनके कहने से कोई उनके साथ नहीं लगता .
पता आज सबको है लेकिन हर तरह के आदमी समाज में रहते हैं , रहने दीजिये .
बस अपनी इज्ज़त सलामत रखिये इन आबरू के लुटेरों से .
नए साल के मौक़े को यादगार बनाने के लिए मैंने दो नए ब्लाग बनाए हैं। आप इन्हें देखकर टिप्पणी करेंगे तो यह सच में यादगार बन जाएंगे।
1- प्यारी मां
2- कमेंट्स गार्डन
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