एक महाशय आये और बोले बहुत सही कहा है कबीर दास जी ने. अहिंसा ही हमार परम धर्म होना चाहिए और तभी अमन का सन्देश भी पूर्णता लेकर जन-जन तक पहुंचेगा।
वही महाशय किसी दूसरी जगह पे गए और , बोले: स्वाद के लिए मांस खाना है तो खाइए. मांसाहार करना व्यक्ति का निजी निर्णय है। ये तो उसके स्वाद से related है कोई क्या खाता पिता है ये उसकी पूर्ण स्वतंत्रता है ।पशुओं में animal प्रोटीन है , यह भी ठीक है। जिसको जो रुचिकर लगे उसे शौक से खाए। इस पर प्रश्न चिन्ह नहीं है।
मैंने सोंच रहा था अहिंसा किसी कहते हैं?
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एक महाशय ने पुछा : धर्म के नाम पर आज हमारे हिन्दू भाई बहन तो नर बलि तक दे रहे हैं। मासूम बच्चों कि जान ले रहे और देवी-देवताओं को प्रसन्न करने में ही अपने जीवन कि सफलता समझ रहे । क्या आप धर्म [हिन्दू, मुस्लिम दोनों ] से जुडी, ऐसी आस्थाओं को उचित ठहरायेंगी जो पशुओं तथा बच्चों कि बलि दे रहा है ?
मैं सोंचने लगा क्या पशु और इंसान का बच्चा इनकी नजर मैं एक सामान है? यदि नहीं तो यह ऐसे बेवकूफी के सवाल का मतलब?
नर बलि की तुलना पशु बलि से करने वाले यही महाशय बकरा काट से स्वाद के लिए खाने की हिमायती हैं..
हैं ना एक मज़ाक?
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वही महाशय किसी दूसरी जगह पे गए और , बोले: स्वाद के लिए मांस खाना है तो खाइए. मांसाहार करना व्यक्ति का निजी निर्णय है। ये तो उसके स्वाद से related है कोई क्या खाता पिता है ये उसकी पूर्ण स्वतंत्रता है ।पशुओं में animal प्रोटीन है , यह भी ठीक है। जिसको जो रुचिकर लगे उसे शौक से खाए। इस पर प्रश्न चिन्ह नहीं है।
मैंने सोंच रहा था अहिंसा किसी कहते हैं?
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एक महाशय ने पुछा : धर्म के नाम पर आज हमारे हिन्दू भाई बहन तो नर बलि तक दे रहे हैं। मासूम बच्चों कि जान ले रहे और देवी-देवताओं को प्रसन्न करने में ही अपने जीवन कि सफलता समझ रहे । क्या आप धर्म [हिन्दू, मुस्लिम दोनों ] से जुडी, ऐसी आस्थाओं को उचित ठहरायेंगी जो पशुओं तथा बच्चों कि बलि दे रहा है ?
मैं सोंचने लगा क्या पशु और इंसान का बच्चा इनकी नजर मैं एक सामान है? यदि नहीं तो यह ऐसे बेवकूफी के सवाल का मतलब?
नर बलि की तुलना पशु बलि से करने वाले यही महाशय बकरा काट से स्वाद के लिए खाने की हिमायती हैं..
हैं ना एक मज़ाक?
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एक महाशय आये बोले जो कोई भी जानवर की बलि अल्लाह को भगवन को खुश करने के लिए देता है " अमन का पैग़ाम नहीं दे सकता "
मैं सोंच रहा था तो ऐसे लोग (सारे मुसलमान, और कुछ हिन्दू) क्या करें? नफरत फैलाएँ?
6 comments:
यही दोतरफा व्यवहार हमारे लिये त्याज्य होना चाहिये..
लेकिन केवल स्वाद के लिये मांसाहार... हमारे यहां तो ऐसे महापुरुष हुये हैं, जिन्हें चर्म रोग की दवाई के लिये सांप की त्वचा की राख बताई थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया..
और शाकाहार भी हिन्दुओं की ही थाती नहीं है.. मेरे पांच मुस्लिम मित्र ऐसे हैं जो पूर्णतया शाकाहारी हैं...
बहुत कोशिश की परंतु आपकी यह पोस्ट नहीं पढ़ पाये, टैक्सट और बैकराऊँड का तारतम्य ठीक नहीं है, पाठकों को तकलीफ़ है, बदल दीजिये और कोई अच्छा सा बैकराऊँड दीजिये या टेक्स्ट का रंग बदलिये, तब शायद पठन में सरल होगा।
आप देख लीजिए, मेरे जितने भी लेख हैं वे सभी जवाबी हैं। जब भी कोई आदमी इस्लाम के बारे में ग़लत बात फैलाकर लोगों में अज्ञान और नफ़रत के बीज बोएगा तो सही बात बताना मेरा फ़र्ज़ है क्योंकि मैं सही बात जानता हूं। अगर किसी को मेरी बात ग़लत लगती है तो वह सिद्ध कर दे। मैं उसे वापस ले लूंगा, अपनी ही बात के लिए हठ और आग्रह बिल्कुल नहीं करूंगा लेकिन सत्य के लिए आग्रह ज़रूर करूंगा। मैं सत्याग्रह ज़रूर करूंगा हालांकि मैं गांधीवादी नहीं हूं।
शांति के लिए मेरी तरफ़ से एक बेहतरीन आफ़र
मैंने पहले भी कहा था और आज फिर कहता हूं कि मेरे ब्लाग की जिस पोस्ट पर ऐतराज़ हो उसे डिलीट करवा दीजिए लेकिन पहले आप लोग भी इस्लाम के खि़लाफ़ दुर्भावनापूर्ण पोस्ट डिलीट कर दें।
अब आप बताइये कि मेरी कौन सी बात ग़लत है और आपकी कौन सी बात सही है ?
क्यों है न काम की बातें ?
अब नवाज़ देवबंदी साहब का एक शेर अर्ज़ है-
तेरे पैमाने में कुछ है और मेरे पैमाने में कुछ
देख साक़ी हो न जाए तेरे मैख़ाने में कुछ
Nice post .
Please have a llook on my new post -
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/hindu-rashtra-for-amuslim.html
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