मेरे गीत !: भारत माँ के यह मुस्लिम बच्चे -III -सतीश सक्सेना
मेरा यह मानना है , वास्तविक लेखक तथा कवि , चाहे वह किसी भाषा के क्यों न हों , संकीर्ण स्वभाव के नहीं ही नहीं सकते ! संकीर्ण स्वभाव का अगर कोई लेखक है तो वह सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए या नाम कमाने के लिए, बना हुआ लेखक है उसे आम पाठक , उन्मुक्त ह्रदय से कभी गले नहीं लगायेगा ! ऐसे व्यक्तियों को लेखक नहीं कहा जाता ! वे सिर्फ़ अपने ज्ञान का दुरुपयोग करने आए है और ढोल बजाकर चले जायेंगे ! कवि ह्रदय, समाज में अपना स्थान सम्मान के साथ पाते हैं और शान के साथ पाते हैं ! .........सतीश सक्सेना
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