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    Wednesday, June 15, 2011

    सच है टिपड़िया ने हाय राम बड़ा दुःख दीना

    satishकुछ दिनों पहले ब्लोजगत मैं एक अंग्रेजी वाइरस  घुसा था लेकिन उसका असर कम होता दिखाई दे रहा है. अचानक टिप्पणी बंद करने का नया वाइरस आया और यह वाइरस तो बड़ा काम का निकला. इतने काम का कि मुझ पे भी इसका असर थोडा थोडा होने लगा है. अभी तो केवल एक पोस्ट कि टिप्पणी बंद की है. घबराएं नहीं इस पोस्ट पे  टिप्पणी खुली है आप ना चाहें तो भी कर सकते हैं.
     
    मुझे तो सतीश सक्सेना को देख बड़ी जलन हो रही है. मियाँ टिप्पणी ऑप्शन बंद कर के समय का सदुपयोग आलू और पराठे उड़ाने मैं कर रहे हैं. और हम यहाँ एक ब्लॉग से दुसरे ब्लॉग किसी जंगली बंदर कि तरह उछल  उछल  के "बहुत खूब" " अति सुंदर"  लिखने मैं लगे हैं.
       
    ऐसे ही हमारी वाणी कि डाल पे लटकता  उछलता मैं शाहनवाज़ साहब के ब्लॉग पे पहुँच गया और वहाँ देखा तो घबरा ही गया  पूर्णविराम, अल्पविराम, अर्धविराम   जैसे कई भयंकर   वाइरस एक साथ हमला बोल चुके थे. शाहनवाज़ कहते हैं यह पूर्णविराम नामक वाइरस का हमला है लेकिन मुझे तो पूरी बीमारी उनके लेख मैं पढने पे यह अर्धविराम नामक वाइरस का हमला लगा. यह अल्पविराम तक तो ठीक था लेकिन अर्धविराम  नामक वायरस का हमला देख के दुःख हुआ. 
     
    शाहनवाज़ साहब ने यह भी  बताया कि टिप्पणी ऑप्शन उन्होंने  बंद कर दी है. इन पर  इस बीमारी का असर जवान होने के कारण दोहरा हुआ और उन्होंने कहीं टिप्पणी ना करने कि भी कसम खा ली. मैं समझ गया  अब यह भी जल्द चिकन बिरयानी खाते हुए समय का सदुपयोग करेंगे. दिल्ली से यह वायरस मुंबई आते आते देर लगेगी तब तक  मैं तो चला अपने डेश बोर्ड कि डाल पकड़ के  निर्मला दीदी के ब्लॉग पे ६ महीने का बकाया क़र्ज़ उतारने.
    केवल राम जी कि तलाश जारी है. सूचना अनुसार उनको भी टिप्पणी बंद नामक इसी वायरस ने पकड़ रखा है. भाई केवल राम जी तक यदि मेरी आवाज़ पहुच रही हो तो टिप्पणी कि जगह केवल डाट  लगा दें.

    सच है टिपड़िया ने हाय राम बड़ा दुःख दीना 
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    14 comments:

    vandana gupta said... June 15, 2011 at 6:06 PM

    इसमे क्या शक है ये दुख ही देती है सुख कम्।

    Anonymous said... June 15, 2011 at 6:42 PM

    बड़ा दुःख दीना ;-)

    Sunil Kumar said... June 15, 2011 at 6:47 PM

    हम तो टिप्पणी की आस लगाये बैठे है| टिप्पणी का आप्सन बंद करना बड़े लोगों की निशानी है

    Kunwar Kusumesh said... June 15, 2011 at 7:42 PM

    बहरहाल मेरी टिप्पणी आप तक पहुंच रही है.ये लीजिये.पहुंच गई .

    संजय भास्‍कर said... June 15, 2011 at 7:47 PM

    हमे तो टिप्पणी चाहिए मासूम जी चाहे कोई खुश रहे या नाराज
    ये लो आ गई टिप्पणी आपके पास भी

    संजय भास्‍कर said... June 15, 2011 at 7:48 PM

    कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 18 दिनों से ब्लॉग से दूर था
    इसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !

    नुक्‍कड़ said... June 15, 2011 at 7:53 PM

    टिप्‍पणी का न आना दुख देता है
    देता है फिर तो ठीक है
    कुछ लेता तो नहीं है
    इसका मतलब टिप्‍पणी न आने में
    हैं लाभ ही लाभ
    बार बार लाभ बोलेंगे तो
    भला तो खुद ही होगा
    क्‍यों भाई सतीश सक्‍सेना
    मैं कोई झूठ बोल्‍या
    मासूम जी सच कह रहे हैं

    Satish Saxena said... June 15, 2011 at 8:04 PM

    मासूम भाई,
    आज तो आप पूरे रंग में नज़र आ रहे हैं मैंने टिप्पणी अपनी व्यस्तता के चलते दी है ! इन दिनों ब्लॉग जगत में कम समय दे पा रहा हूँ अतः दोस्तों को क्यों परेशान करूँ ! आपका वाइरस मामला समझ नहीं पा रहा हूँ , शाहनवाज भाई को जाकर पढता हूँ मसला क्या है ?
    कहीं अविनाश वाचस्पति का हाथ या थैला तो नहीं :-)
    शुभकामनायें आपको !

    दिनेशराय द्विवेदी said... June 15, 2011 at 8:27 PM

    मासूम भाई,
    पूर्णविराम के बाद एक नया वाक्य आरम्भ हो जाता है। पैरा समाप्त होने पर नया पैरा आरंभ हो जाता है और अध्याय समाप्त हो जाए तो नया अध्याय।
    शाहनवाज भाई से बात हुई। वे वाकई अपने घर पर दावत उड़ा रहे हैं। चाहें तो आप जा कर शामिल हो सकते हैं।

    Udan Tashtari said... June 15, 2011 at 9:09 PM

    दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी न तार................

    S.M.Masoom said... June 15, 2011 at 9:10 PM

    दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi @ भाई मैं ठहरा शाकाहारी पता नहीं दावत मैं बिरयानी उड़ा रहे हैं या आलू के पराठे. वैसे बात मेरी भी हुई लेकिन किसी दावत कि खबर नहीं आई. और अर्धविराम के बाद क्या शुरू हो जाता है?

    Bharat Bhushan said... June 22, 2011 at 11:03 AM

    टिप्पणियों ने दर्द दिया. दर्द एक, दवा अपनी-अपनी.

    hamarivani said... June 22, 2011 at 2:52 PM

    sach baat kahi aapne .. join us .. OBC Welfare Association ( development of other backward class, poor and weaker people ) www.obcwa.org

    Item Reviewed: सच है टिपड़िया ने हाय राम बड़ा दुःख दीना Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
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