कल एक किताब नग़म ऐ इरफ़ान पढने का अवसर मिला जिसमें से आज कुछ अशार लिख रहा हूँ . आज आप कि बारी है और आप को यह बताना है कि यह कलाम, किस धर्म कि किताब के हैं. इसको लिखने वाले का नाम है जनाब टी० एन० श्रीवास्तव जी.
लोग ऐसे वहम मैं झूटी उम्मीदों के पड़े
इल्म हों बेसूद जिनके वो अमल बेकार हों.
फितरत ए शैतान से मग्लूब हो जाते हैं वो.
खुद का खुद गोया कि वो शैतान के अवतार हों.
देखता जो शख्स है सबको मुसावी एक सा.
दोस्त दुश्मन यार गिरो पाकदामन सीयहरू
काबिल ए नफरत ना कोई शे , ना हो काबिल सना
शख्स वो आलातरी ,वाह है अजीमो सुर्खरू.
लोग धर्म कि बातें भी बहुत करते हैं, धर्म को मानने का दावा भी बहुत करते हैं लेकिन धर्म कि किताबों को समझने मैं दिच्स्पी नहीं रखते इसी कारण धर्म के नाम पे गुमराह किए जाते हैं या हो जाते हैं.
आप भी इस धर्म ज्ञान पहेली को हल कर के देखें. शायद आप का ज्ञान इतना अधिक हो कि आप कि गिनती धर्म को समझने वालों मैं हो जाए.
5 comments:
बाद की चार पंक्तियों में अद्वैत दर्शन की बात कही गई है।
Achha laga lekin hal nahi kar sakta,
कहाँ से उक्त शेर लिए गए हैं ,ये तो नहीं पता परन्तु सभी धर्मों की जो बातें हमें अच्छी लगती हैं उन्हें आत्मसात करके चला जा सकता है.
koi pata nahin hai ji.
इस पहेली को हल करने के लिए उर्दू का ज्ञान और गीता का इरफ़ान दरकार है । जिसे ये दोनों विशेषताएँ प्राप्त हैं तो वह जान लेगा कि एक हिस्सा तो गीता के 10 वें अध्याय से है और दूसरा...
यह इसलिए ताकि पहेली की रोचकता बनी रहे !
I like Gita.
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