इस समाज से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए भ्रष्ट लोगों से देश को बचाने के लिए अन्ना हजारे साहब की मुहीम चली और अभी तक ख़बरों मैं बनी हुई है. अब बारी आयी बाबा रामदेव की और यह तो समय बताएगा की उनकी इस मुहीम का क्या नतीजा होता है.
मेरा मानना है की समाज से भ्रष्टाचार उसी समय हट सकता है जब इस देश के नागरिक जागरूक हो. आज हम जिस समाज में रहते हैं, रिश्वत का लेना देना एक आम बात है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है की जनता भी रिश्वत दे के काम करवाने को अब गलत नहीं मानती.
ऐसे बहुत लोग आप को इस समाज मैं मिल जाएंगे जो यह कहते मिलेंगे भाई हर इंसान दो पैसे कमाना चाहता है, अगर उसने आप का काम आसानी से करके, ५-७ घंटे और ४-5 चक्कर आपके बचा कर कुछ पैसे ले भी लिए तो क्या बुरा किया.
किसी नए नए बने नेता का क्या काम होता है? वो अपनी जान पहचान बना लेता है, बहुत दफ्तरों और बड़े नेताओं के दफ्तर मैं. लोग उसके पास दौड़ते हैं अपना काम करवाले के लिए और बीच मैं वो नए नेता अच्छा खासा माल कम लेते हैं.
आप कभी ऐसे लोगों से सवाल करें भाई गलत तो गलत है तो उनका जवाब होगा कहाँ आप सतयुग की बातें कर रहे हैं. आज तो लोग ज़रुरत के पैसे कमाते हैं.
ऐसी मिसालें समाज मैं आप को बहुत सी मिल जाएंगे जहां आम जनता ही ऐसे भ्रष्टाचार मैं सहायक बनी है.ऐसे मैं क्या अन्ना हजारे या बाबा रामदेव केवल मीडिया के शोर शराबे के साथ कुछ ख़ास कर सकेंगे?
अन्ना हजारे हों या बाबा रामदेव मुद्दा दोनों का सही है लेकिन यदि आम जनता ही आज इमानदारी को किताबी बातें मानते हुए अपने ही ओलाद को ना पूरा इमानदार बनाना चाहती है और न पूरा बेईमान ,तो इन मुहीम को चलाने से भ्रष्टाचार तो ख़त्म होते नज़र नहीं आता. हाँ यह लोग समाज को सही क्या और गलत क्या यह अवश्य सीखा जाएंगे.
यदि अन्ना हजारे या बाबा रामदेव इस समाज से सच मैं भ्रष्टाचार हटाना चाहते हैं तो मुहीम मिल के चलाएं और सबसे पहले जनता जनार्दन को जागरूक कर के उनका सहयोग लें वरना भ्रष्टाचार मिटाने मैं कामयाबी शायद संभव नहीं होगी.
हमारे ब्लॉगर भाइयों को क्या लगता है? क्या जनता जनार्दन भी इनके साथ है ?
3 comments:
bhaaijaan bezuban hokar itni bhtrin shirin vaali zuban sch kaha aapne jnta ajb tk bhrashtachar krna or uska sath nibhana nhin chhodegi tab tk bhrashtachar kaa khaatma smbhv nhin hai ..akhtr khan akela kota rajsthan
आम जनता भ्रष्टाचार के साथ नहीं है। लेकिन मरता क्या करता? आप को दिल्ली के लिए तुरंत निकलना है। रिजर्वेशन नहीं है, वेटिंग ले कर डिब्बे में चढ़ जाते हैं। लंबा सफर है। सोचते हैं कुछ रुपए टीटीई को दे कर सीट मिल जाए तो कुछ आराम मिल जाए। आप पैसे देते हैं। क्यों? कि और कोई चारा नहीं है। वर्तमान व्यवस्था ही ऐसी है जिस में हर चीज जरूरत से कम ही रखी जाती है। वही विकास की प्रेरणा है। मौजूदा व्यवस्था के रहते भ्रष्टाचार से मुक्ति असंभव है लेकिन आम जनता इस से निजात चाहती है। जिस दिन वह अपनी पर आएगी इसे मिटा ही देगी। उस के उस अभियान का नेतृत्व कोई तो करेगा ही। यह एक लंबा सफर है। कब औऱ किस के नेतृत्व में पूरा होगा यह नहीं कहा जा सकता। इतिहास में निश्चित ही अन्ना हजारे जैसे लोगों का भी महत्व रहेगा कि उन्हों ने बहुत पहले इस के विरुद्ध बिगुल बजाया था।
काल चक्र घूमता है.ये प्रकृति का नियम है.भ्रष्टाचार ख़त्म होगा एकदिन.मानवता और ईमानदारी फिर वापस आयेगी.उम्मीद है जो बिगुल अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने बजाया है वो रंग लायेगा.शुरुआत हो चुकी है. बाकी अल्लाह मालिक.
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