उपदेश और नसीहतों के बीच कभी कभी थोडा हंस भी लेना चाहिए.
किसी गाँव मैं एक साहब ने खुद के भगवान् होने का का एलान कर दिया,कहने लगे कि वो भगवान् हैं. दूर दूर से लोग आते और उसको समझाते कि तुम ग़लत हो, दूर देश से धर्म के ज्ञानी बुलाये गए लेकिन वो मान ने को तैयार नहीं कि वो खुदा नहीं है.
वहीं गाँव मैं एक दुखी पठान रहता था . दुखी इस लिए कि उसका बेटा अभी कुछ दिनों पहले चल बसा था. उसने भी यह बात सुनी कि एक साहब ने भगवान् होने का दावा कर दिया है. उस पठान ने कुछ सोंचा और अपनी लाठी हाथ मैं ले के उन साहब से मिलने गया.
वहां देखा लोग उसको समझा रहे हैं, पठान ने सब से कहा , मुझे भी एक मौक़ा दो इन भगवान् जी से मिलने का. सब मान गए.
पठान ने पूछा तो आप खुद को भगवान् कहते हैं?
उन साहब का जवाब था हाँ.
पठान के डंडा ऊपर उठाया और कहा "तो तुम्ही हो जिसने मुझसे मेरा बेटा छीन लिया"
इस से पहले कि पठान आगे बढ़ता उन साहब ने चिल्ला के कहा नहीं भाई मैं ना तो भगवान् हूँ और ना ही मैंने तुम्हारा बेटा छीना है..
4 comments:
कहानी बहुत अच्छी लगी, डंडे में बात तो है
अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!
पुरानी कहावत है डंडे के डर से भूत भी भागता है।
maasum bhai vaah kya dndaa he aese dnde desh me netaon ke liyen bhi bn jaye to mza aa jaaye . akhtar khan akela kota rajsthan
nice
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