मीना कुमारी का नाम आज भी लोग नहीं भूलें हैं. अपने वक़्त कि बेहतरीन अदाकारा जिसने ९३ फिल्मों मैं काम किया ,जब पैदा हुई तो उसके माँ बाप के पास उस डॉ को देने के पैसे नहीं थे ,जिस नर्सिंग होम मैं वो पैदा हुई थीं और जब दुनिया से गयी तो मीनाकुमारी के इलाज का खर्च जो अस्पताल ने बताया उसको भरने के पैसे भी नहीं थे.
मीना कुमारी अपने माता पिता अली बक्श और इकबाल बेगम कि तीसरी संतान थी. इनका असल नाम महेजबीं बानों था. १ अगस्त १९३२ को जन्मी मीना कुमारी का देहांत ३१ मार्च १९७२ मैं उस समय हुआ जब उनकी फिल्म पाकीज़ा को परदे पे आये तीन सप्ताह हुए थे , दुनिया उनकी फिल्म देखने को दीवानी हुई जा रही थी,और मीनाकुमारी बीमारी और ग़रीबी से अकेले लड़ रही थी.
जनाब कमाल अमरोही साहब से उनकी शादी १९५२ मैं हुई और जल्द ही १०६० मैं तलाक भी हो गया.जिसको मीना कुमारी ने कुछ ऐसे बयान किया..
तलाक़ दे तो रहे हो ग़ुरूर ओ क़ह्र के साथ
मेरा शबाब भी लौटा दो मेरे मह्र के साथ
मीना कुमारी के खुद के अल्फाज़ों मैं उनकी कहानी ऐसी है कि वो कहती थी.
तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी
बेलुत्फ ज़िन्दगी के किस्से हैं फीके फीके
जो कमाल अमरोही साहब मीना कुमारी का साथ ज़िंदगी में ना दे सके आज मरने के बाद साथ में ही दफन हैं.
ये कैसी दुनिया है यह कैसे लोग हैं, किसे कहते हैं शोहरत किसे कहते हैं दौलत और किसे कहते हैं मुहब्बत, मीना कुमारी कि ज़िंदगी के हर पहलु को देखने के बाद यह सब एक बड़े सवाल के रूप मैं उभर के सामने आता है. आज भी मीनाकुमारी का ज़िक्र एक बेहतरीन अदाकारा और बेहतरीन शायरा के रूप मैं किया जाता है. लेकिन उनकी ज़िंदगी मैं ना तो कोई उनका हमदर्द था और ना ही किसी को उनसे मुहब्बत, वरना ऐसी ग़ुरबत मैं वो दुनिया से ना जाती.
यह दुनिया जिसकी दिवानी थी वो ज़िंदगी मैं भी अकेली और ग़रीब रही और मरने के बाद भी उसकी कब्र अकेली ही नज़र आती है. दौलत और शोहरत के पीछे भागने वाली इस दुनिया मैं रहने वालों के लिए मीनाकुमारी कि ज़िंदगी एक इबरत है.
18 comments:
मौत एक अटल सच्चाई है और तौहीद सबसे बड़ी दौलत है. यह इंसान को बहुत से जुर्म और पाप से बचाकर उसे जीते जी भी सुकून देती है और मरने के बाद भी राहत देती है. यही वह सच्ची दौलत है जो इंसान के साथ मरने के बाद भी जाती है.
तौहीद और शिर्क
श्रद्धांजलि..
मीनाकुमारी की दुखद कहानी मैने भी कुछ दिन पहले पढ़ी थी काफी संघर्ष था उनके जीवन में पर फिर भी उन्होंने उसका मुकाबला बहुत हिम्मत से किया था | हाँ और एक अटल सच्चाई जो कभी नहीं बदल सकती की मरने के बाद सबनें एक ही राह पकडनी है फिर जीते जी ये केसी दूरियाँ ?
पोस्ट अच्छी लगी |
ये कहानी मीना कुमारी की ही नही बल्कि हर उस शख्स की है जो दुनिया के बने बनाये फ्रेम में फिट ना हो सका
मीना कुमारी जी की खूबसूरती और उनकी अदाकारी का कोई सानी नहीं.मैंने पाकीज़ा फिल्म तीन बार देखी है. उनकी फिल्मों के गाने आज भी वैसे ही पसंद किये जा रहे हैं जैसे उस समय किये जाते थे. फ़िल्मी दुनिया में उनकी भरपाई कोई अभिनेत्री नहीं कर सकती.अच्छे इन्सान की कोई क़द्र नहीं, शायद इसीलिए उनका अंत दुखद रहा.मगर जब तक दुनिया रहेगी मीना कुमारी का नाम लोगों की ज़बान पर होगा.
We always believe in a truth which is pre planned by GOD. As being this a traditions, ambically dream for Meena Kumari......we always been memorized for her.
She will be alive in our hearts....our life values.
She was a symbol of love.....labour.....lunatic.
Her beauty was Goodrich......
स्व. मीनाकुमारी को भावभीनी श्रद्धांजली । इस अवसर विशेष पर आपके द्वारा इन्हें याद करने व लोगों की याद में लाने हेतु धन्यवाद आपका ।
मीनाकुमारी की कहानी बहुत सारे प्रश्न उठाती है मन में -
दर्द से उनका अंदरूनी रिश्ता रहा ऐसा लगता है .
उन्हें श्रद्धांजलि -
मासूम भाई,
मीनाजी वह शख्सियत थीं की जिनके बारे में मैंने बहुत जल्दी बहुत कुछ जान लिया था. उनका जीवन वाकई दर्द और दर्द से ही भरा रहा. कुछ पल सुकून के जिए होते तो shayad वो महान हस्ती अपने को शराब में डुबो कर ख़त्म न कर देती . उसके पहले भी कमाल अमरोही ने उनको कुछ नहीं दिया और बाद में खुद बनगए.
मीना जी को भाव् भीनी श्रद्धांजलि
सिर्फ इतना कहा जा सकता है-
कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता
किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता
KHUDA unhe nek bandon me shumar kare...
meena kumari....hamesha dilon dimag ko apni gambhir adakari se jhanjhod kar rakh detin hai...
मीना कुमारी की दर्दनाक कहानी पहले भी सुनी थी.सुना था अपने दर्द को शराब में डुबो लिया था उन्होंने और इसी में जिंदगी खतम कर ली थी.
एक बेहतरीन अदाकारा और शायरा को विनर्म श्रधांजलि.
अभी कुछ महीनों पहले ही उनके जीवन और मृत्यु के ऊपर एक बड़ा-सा आर्टिकल पढ़ा था...
रही बात उनकी अदा और अदाकारी की तो उनका कोई भी सानी न था और न है... और न ही उनकी खूबसूरती का...
is naam se itna lagao hai ki ise dekhte hi aa pahunchi yahan ,kuchh din pahle ek patrika me inke baare me padha tha aur aankhe nam ho gayi thi phir maine inke liye apne anubhav bhi likhe ,khair ye sab taqdir ka fasana hai jahan jor nahi kisi ka ,insaan is duniya me dard ko lekar jeeta hai or dard ko lekar marta hai .
ek geet ki kuchh line yaad aa rahi hai inke liye -
jalte hai armaan mera dil rota hai
kismat ka dastoor nirala hota hai ,
aai aesi mauj ki sahil doob gaya
warna apni kashti kaun doobota hai .khuda kare ab jahan janm le dard se vasta na ho .achchha laga padhkar unhe ,mere paas unki likhi kitaab bhi hai .ye bhi uski inayat thi jiski vazah se wo apne kirdaar me jaan bhar saki aur logo ke kareeb hui ,
ye gam bhi mujhe aziz hai ki usi ki di hui cheez hai ,andhera hi gadhta hai naya savera .shayad ab ho ......
naman...
bahut behtreen lekh hai yeh aapaka agar apko aise loge ki life me interst hai to pls yaha bhi clik kare http://days.jagranjunction.com/
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