आज हिंदी दिवस है और हिंदी ब्लॉगजगत के लिए तो यकीनन विशेष दिन है. सभी तरफ से हिंदी दिवस कि शुभकामनाओं के लेख़ पढने को मिल रहे हैं. लोग इसकी उन्नति कि दुआएँ कर रहे हैं. लेकिन क्या हम स्वम ही अपनी राष्ट्र भाषा के साथ सौतेलेपन का व्यवहार नहीं कर रहे? यह हम ही हैं जिसने हिंदी भाषा के उपयोग को अब केवल हिंदी साहित्य कि किताबों तक सीमित कर दिया है.
आज हिंदुस्तान के जो राज्य हिंदी भाषी राज्य कहे जाते हैं वहाँ के लोगों को विषय ज्ञान दूसरों से अधिक होने के बावजूद हिंदी बोल ना पाने के कारण नौकरियां नहीं मिल पाती. यह भी देखने कि बात है ही अंग्रेजी भाषा पे इन हिंदी भाषी राज्य के लोगों कि पकड़ अधिक मज़बूत होती है यह उन अंग्रेजी बोलने वालों से अच्छा लिख सकते हैं लेकिन बोलने मैं पीछे रह जाने के कारण इनको प्राथमिकता नहीं दी जाती.
जब कि इन हिन्दुस्तान मैं अधिकतर नौकरियों मैं अंग्रेजी का इस्तेमाल अंग्रजों के ज़माने कि देन है आवश्यकता नहीं. हमें मार्केटिंग करनी है हिंदी भाषियों के बीच और इण्टरव्यू लिया जा रहा है अंग्रेजी मैं. होना तो यह चाहिए कि हमें अपने हिंदुस्तानिओं से हिंदी मैं बात चीत करने चाहिए लेकिन हम भी अंग्रेजी मैं बोलने वाले कि बात जल्द समझ जाते हैं और माल खरीद लेते हैं.
जो अंग्रेजी बोलता है उसे हम ज्ञानी समझते हैं. अंग्रेजी अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है और इसे सीखना भी ज़रूरी है लेकिन हिन्दुस्तान मैं जहाँ इसकी आवश्यकता नहीं वहाँ इस भाषा को ना बोल पाने वालों को नौकरियों के काबिल ना समझना कहाँ तक उचित है?
आज हिंदी दिवस पे शुभकामनाओं के साथ मैं यही कहूँगा कि अपनी राष्ट्र भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दें और अधिक से अधिक इस्तेमाल करें.
आज हिंदुस्तान के जो राज्य हिंदी भाषी राज्य कहे जाते हैं वहाँ के लोगों को विषय ज्ञान दूसरों से अधिक होने के बावजूद हिंदी बोल ना पाने के कारण नौकरियां नहीं मिल पाती. यह भी देखने कि बात है ही अंग्रेजी भाषा पे इन हिंदी भाषी राज्य के लोगों कि पकड़ अधिक मज़बूत होती है यह उन अंग्रेजी बोलने वालों से अच्छा लिख सकते हैं लेकिन बोलने मैं पीछे रह जाने के कारण इनको प्राथमिकता नहीं दी जाती.
जब कि इन हिन्दुस्तान मैं अधिकतर नौकरियों मैं अंग्रेजी का इस्तेमाल अंग्रजों के ज़माने कि देन है आवश्यकता नहीं. हमें मार्केटिंग करनी है हिंदी भाषियों के बीच और इण्टरव्यू लिया जा रहा है अंग्रेजी मैं. होना तो यह चाहिए कि हमें अपने हिंदुस्तानिओं से हिंदी मैं बात चीत करने चाहिए लेकिन हम भी अंग्रेजी मैं बोलने वाले कि बात जल्द समझ जाते हैं और माल खरीद लेते हैं.
जो अंग्रेजी बोलता है उसे हम ज्ञानी समझते हैं. अंग्रेजी अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है और इसे सीखना भी ज़रूरी है लेकिन हिन्दुस्तान मैं जहाँ इसकी आवश्यकता नहीं वहाँ इस भाषा को ना बोल पाने वालों को नौकरियों के काबिल ना समझना कहाँ तक उचित है?
आज हिंदी दिवस पे शुभकामनाओं के साथ मैं यही कहूँगा कि अपनी राष्ट्र भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दें और अधिक से अधिक इस्तेमाल करें.
9 comments:
हिंदी दिवस पर आपको शुभकामनाएँ. अच्छी सार्थक पोस्ट.
अंग्रेजी बोलता है उसे हम ज्ञानी समझते हैं.
यह हमारी नासमझी ही है , अच्छी पोस्ट, हिंदी दिवस की शुभकामनायें
सही बात.
हिंदी दिवस की शुभकामनायें .
सार्थक आलेख आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ।
समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
हिंदी की जय बोल |
मन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें
चर्चामंच-638, चर्चाकार-दिलबाग विर्क
एकदम सही लिखा है आपने .....आज -कल ऐसी ही मानसिकता हो गई है
शुभकामनाएँ. अच्छी सार्थक पोस्ट.
पता नहीं किसने कह दिया कि अंरेजी अन्तरराष्ट्रीय भाषा है? हर जगह ऐसा ही लिख देते हैं लोग।
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