.......जी हाँ यह बात हम सभी जानते हैं कि इस दुनिया से जाने वाले लौट के फिर कभी नहीं आते. इसीलिये तो लोग अपने चाहने वालों के लिए दुआ भी करते नज़र आते हैं कि ऐ जाने वाले हो सके तो लौट के आना. इसी प्रकार यह भी सत्य है कि इस दुनिया से जाने वाला कभी जाना नहीं चाहता और इस कारण उसका इस दुनिया के लोगों से प्रेम हुआ करता है. यदि दुनिया से जाने वाले के हाथ में या ताक़त हो कि वो जब चाहे वो लौट सकता है तो यकीन जानिए ९९% जाने वाले अवश्य लौट के आ जाते.
यह तो बात हुई दुनिया वालों कि लेकिन इस ब्लॉग जगत में इसका उल्टा ही देखने को मिलता है. जाने वाला फिर लौट के अवश्य आता है. कभी २-४ दिन में ही लौट आता है कभी २-४ महीने और साल भर के बाद.
ऐसा इसलिए होता है कि हिंदी ब्लॉगजगत में जितने भी ब्लोगर हैं यह एक परिवार कि तरह हैं. यह एक दूसरे से नाराज़ होते हैं ,बहस भी करते हैं, मुहब्बत भी करते हैं, मिलते हैं , अलग होते हैं लेकिन एक दूसरे से जुड़े होते हैं.
इनमें से कभी कभी किसी नाराज़गी के कारण कोई अधिक दुखी हो जाता है तो वो जाने का एलान कर देता है, कुछ लोग ज़रा होशियार होते हैं तो टिप्पणी बंद करने का एलान कर देते हैं.
अपने किसी ब्लोगर साथी के ब्लॉगजगत को अलविदा कहने कि खबर दूसरे ब्लोगर को सच कहिये तो अच्छी नहीं लगती.
अब नाराज़गी के कारण कोई ब्लोगर चला भी गया तो इस परिवार से बहुत दिन दूर नहीं रह पाता और एक दिन अपनों के बीच फिर से वापस आ जाता है और तारीफ कि बात यह है कि ब्लॉगजगत उसकी वापसी पे स्वागत भी करता है और अपनी ख़ुशी भी ज़ाहिर करता है.
इसीलिये मैंने कहा कि ब्लॉगजगत में जाने वाले लौट के फिर अवश्य आते हैं और उनको आना भी चाहिए आखिर अपनों से अधिक दिनों तक दूर कोई कैसे रह सकता है .
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यह तो बात हुई दुनिया वालों कि लेकिन इस ब्लॉग जगत में इसका उल्टा ही देखने को मिलता है. जाने वाला फिर लौट के अवश्य आता है. कभी २-४ दिन में ही लौट आता है कभी २-४ महीने और साल भर के बाद.
ऐसा इसलिए होता है कि हिंदी ब्लॉगजगत में जितने भी ब्लोगर हैं यह एक परिवार कि तरह हैं. यह एक दूसरे से नाराज़ होते हैं ,बहस भी करते हैं, मुहब्बत भी करते हैं, मिलते हैं , अलग होते हैं लेकिन एक दूसरे से जुड़े होते हैं.
इनमें से कभी कभी किसी नाराज़गी के कारण कोई अधिक दुखी हो जाता है तो वो जाने का एलान कर देता है, कुछ लोग ज़रा होशियार होते हैं तो टिप्पणी बंद करने का एलान कर देते हैं.
अपने किसी ब्लोगर साथी के ब्लॉगजगत को अलविदा कहने कि खबर दूसरे ब्लोगर को सच कहिये तो अच्छी नहीं लगती.
अब नाराज़गी के कारण कोई ब्लोगर चला भी गया तो इस परिवार से बहुत दिन दूर नहीं रह पाता और एक दिन अपनों के बीच फिर से वापस आ जाता है और तारीफ कि बात यह है कि ब्लॉगजगत उसकी वापसी पे स्वागत भी करता है और अपनी ख़ुशी भी ज़ाहिर करता है.
इसीलिये मैंने कहा कि ब्लॉगजगत में जाने वाले लौट के फिर अवश्य आते हैं और उनको आना भी चाहिए आखिर अपनों से अधिक दिनों तक दूर कोई कैसे रह सकता है .
किसी तकरार को दरार ना बनने देना
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7 comments:
बेहतरीन सराहनीय प्रयास...!
बिल्कुल सही कह रहे है आप।
ब्लॉगजगत में जाने वाले लौट के फिर अवश्य आते हैं
ब्लॉगजगत हमारा परिवार है ब्लॉग परिवार ...आखिर कब तक लोग अपने परिवार से दूर रहेंगे
बहुत उम्दा विश्लेषण किया है आपने सर जी बहुत बहुत आभार आलेख के लिए
बढ़िया पैगाम। दुआ कर रहा हूँ...असर देखना है।
'शिकायत जिस से हो उसी से बात कि जाये . इधर उधर शिकायतें करने वालों का मकसद शिकायत करना नहीं बल्कि बेइज्ज़त करना हुआ करता है.'
जो आसान नहीं है.अत्यंत विचारणीय विषय को सामने रखने के लिए बधाई .
यदि हमारी बातों या व्यवहार से किसी को चोट पहुंची हो तो अहसास होते ही तुरंत क्षमा मांग लेनी चाहिए। यह तनाव को दूर रखने का एकमात्र तरीका है। यदि समय रहते क्षमा याचना न की जाए तो यह तनावपूर्ण हो सकता है। हमें अपनी गलतियों से सबक लेकर उनसे ऊपर उठना चाहिए। अपने जीवन व कार्यों के प्रति उत्तरदायी होने का यही एक तरीका है, परंतु इस राह में अहं हमारी सबसे बड़ी समस्या है, जो अक्सर हमारे व भूल को स्वीकारने के बीच आ जाता है। यदि आप सोचते हैं कि जीवन में कोई व्यक्ति भूलें किए बिना रह सकता है तो यह आपका भ्रम है। यदि हम भूलों से सबक नहीं लेते तो इसका अर्थ होगा कि हम एक और अवसर गंवा रहे हैं। गलतियों व संभावित गलत कदमों का निरंतर मूल्यांकन ही उनसे कुछ सीखने व भविष्य में उन्हें अनदेखा करने का तरीका है।
ब्लॉगर्स अपनी भूल कैसे सुधारें? Hindi Blogging Guide (17)
waah... hamesha ki tarah bahut badhiya post... jaha chaar bartan ho to awaaz hona swabhvik hai, parantu un bartano ko aram se bhi jamaya jaa sakta hai...
pariwaar mei shaamil karne ke liye thank you so much...
अच्छी रही प्रस्तुति!!
बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
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