अधिक टिप्पणी वाले ब्लॉग भी संकलक की तरह ही काम करते हैं. भाई ऐसा इसलिए कह रहा हूँ की ब्लोगर stat यह बताता है की जब आप ऐसे किसी ब्लॉग पे टिप्पणी कर दें जहां ६०-११०-१५० टिप्पणी आती हो तो १०-१२ टिप्पणी करने वाले ब्लोगर आप के ब्लॉग तक भी आ पहुँचते हैं वहीं से तलाशते हुए.
इस सप्ताह मैंने मैंने भी सोचा नए ब्लोगर का उत्साह तो रोज़ टिप्पणी कर के बढ़ाते हैं चलो आज अपना उत्साह बढाया जाए अधिक टिप्पणी वाले ब्लॉग पे "अति सुंदर" "सराहनीय "लिख कर.
सबसे पहले पहुंचा समीर लाल के पास देखा एक दिन मैं ४५ टिप्पणी, लगा अपना काम हो गया, फ़ौरन कलम संभाली बटन दबाया लिखा "अति सुदर" साथ मैं सराहनीय भी जोड़ दिया. फिर ज़मीर ने आवाज़ दी भैया यह तो लिखता भी अच्छा है चलो पढ़ लें , देखा कुछ बुढ़ापे की कहानी है, तब तो और दिल किया पढो भैया बुढ़ापा तो अपने आने वाले दिनों की निशानी है. एक सास मैं पूरा पढ़ गया.
उन्होंने लिखा अंत मैं "अक्षमतायें और असुरक्षा की भावना अपने साथ कितनी ही आशंकायें लेकर आती हैं " और यही बात मुझे पसंद आ गयी. टिप्पणी भी कर दी संतुष्ट भी हो गए चलो इमानदारी से कुछ कहा.
फिर सोंचा चलो सतीश सक्सेना के पास चलें , वहां गया तो देखा डाइमंड जुबली के साथ पिछली पारी ख़त्म हुई और नयी पारी के लिए बल्ला हाथ मैं संभाले खड़े हैं और कुछ होमिओपैथी , आयुर्वेद की बातें बता रहे हैं, दिल का मरीज़ वैसे ही हूँ, सोंचा ,अपना आदमी है बाद मैं कुछ आराम से कहेंगे. लेकिन वहां भी एक नसीहत दिख ही गयी.
"मानव चाहे तो क्या नहीं कर सकता ......आवश्यकता सिर्फ सामूहिक ताकत का उपयोग करने का ही है , रास्ता निकल ही आएगा "
अचानक किसी ने कहा सुनामी आया मैंने कहा भाई मालूम है जापान मैं , जनाब बोले अर्रे नहीं हरकीरत ' हीर' जी के ब्लॉग पे , आयी हैं बाढ़ टिप्पणिओं की ,ज़लज़ले के साथ. भागा भागा गया , मौक़ा अच्छा था और देखा तो सच १४१ टिप्पणी. देखा दमकल विभाग वाले वहां अभी नहीं आये हैं, सोंचा ज़रा सी आग बुझा दूं मैं भी, जबकि मालूम है हम जैसे छोटे लोग कहाँ इतनी बड़ी आग बुझा सकते हैं, लेकिन जितनी सलाहियत है उतनी कोशिश इंसान को अवश्य करनी चाहिये. और वहाँ भी कुछ कह आया.
लौटा अपने ब्लॉग पे देखा ० टिप्पणी सोंच रहा था क्यूं? तभी कहीं से आवाज़ आयी , जनाब आप लिखते भी बहुत अच्छा नहीं है, किसी के धर्म को निशाना भी नहीं बनाते, अमन का पैग़ाम और उपदेश अलग से बाँट आते हैं. आप को तो -१४० टिप्पणी मिलनी चाहिए.
मैंने भी सोचा कोई बात नहीं अच्छा लिख के अधिक टिप्पणी पाने की राह अभी भी खुली है.. यदि आप को भी ऐसा लगता है तो आप सब भी कोशिश करें अच्छा लिखने की और अच्छे लेख पे अधिक टिप्पणी देने की.
मुझे लगता है कि टिप्पणी एक व्यापार है, इस हाथ दे उस हाथ ले वाली बात टिपपणी पर सटीक बैठती है, वैसे भी असली पाठक "कोई ब्लोगर" नहीं होता, अधिकतर ब्लोगर सिर्फ इसलिए टिप्पणी करते हैं क्यूंकि वे चाहते हैं कि इसी बहाने आप भी उनके ब्लॉग पर आयें तो टिप्पणी कर दें,
आप तो सिर्फ असली पाठक की संख्या को गिनिए (google analytics) क्यूंकि असली पाठक टिप्पणी नहीं करता
@ भाई योगेन्द्र पाल जी ! आपसे मुलाकात आज शायद पहली बार हो रही है लेकिन मैं आपकी बात से प्रभावित भी हूँ और सहमत भी। @ जनाब मासूम साहब ! आपको -140 टिप्पणियाँ न मिलना साबित करता है कि अभी आपको अपने लेख और बेहतर बनाने होंगे । अख़्तर ख़ान अकेला साहब के लेख आपसे बेहतर होते हैं । सुबूत हैं उनकी पोस्ट्स पर Zero टिप्पणियाँ जबकि वह खुदा का बंदा 713 ब्लॉग्स का फ़ॉलोअर भी है। ये ब्लॉग जगत अद्भुत है । उनसे ज़्यादा टिप्पणियाँ तो अपना अनुज भंडाफोड़ू ले भागता है और Zero का दाग़ तो कभी अपने तारकेश्वर जौनपुरी की शर्ट के दामन पे भी न लगा ।
टिप्पणियों के आने से हौसला बढ़ता है इसमें दो राय नहीं किन्तु महज टिप्पणी पाने के लिए विषय वास्तु बिना पढ़े टिप्पणी करना सही नही है वैसे आपको टिप्पणियों को गिनने की जरूरत नही
bhaaijaan khavt he krm kiye jaa fl degaa bhgvaan lekhn kisi ki taarif kaa mohtaaj nhin achche lekh se khud hi aah or vaah niklti he or vese bhi aek din sb apni gltiyaan maankr jb aek dusre bhaai ke gle lgenge to bs unke paas apni gltiyon or naadaaniyon ke liyen rone ke sivaa kuchh nhin bchegaa vese bhaai salim,bhai masum or dr anvr jmaal saahb shit jitne bhi log bloging ki si duniya men nyaa pryog nye shodh kr rhe hen voh bdhaai ke paatr hen unhen bloging ke itihass me mil ka ptthr hi smjhaa jaayegaa . akhtar khan akela kota rajsthan
मासूम साहब। ये बातें पहले भी कई बार हो चुकी हैं कि स्थापित ब्लागरों की पोस्ट पर टिप्पणियों की बौछार होजाती है और नए कितना भी अच्छा लिख लें टिप्पणियों का टोंटा रहता है, लेकिन मेरा सोचना है कि स्थापित ब्लागरोंके पास यदि पाठक हैं टिप्पणियां आ रही हैं तो कुछ तो उनकी कलम में भी दम होगा। येबात भी सही नहीं कि नए को पाठक नहीं मिलते। अच्छा लिखो तो लोग आएंगे ही और टिप्पणी भी जरूर देंगे। मैं इस बात में पवन जी की बात से सहमत हूं कि टिप्पणियों से हौसला मिलता है लेकिन सब कुछ टिप्पणियों के लिए करना ठीक नहीं।
110 तक तो मासूम जी ; हम भी एक बार रह चुके हैं। हमने दिखाया था कि शंकराचार्य सोने के सिंहासन पर बैठता है और जब वह मरता है तो उसे सोने के तखते पर लिटाया जाता है । फिर खजूरी दिल्ली में पानी भर गया और सारा काम ठप्प पड़ गया । आपको पढ़कर अच्छा लगा।
मासूम भाई , जितना महत्वपूर्ण पोस्ट लिखना होता है उतना ही टिप्पणी करना भी । और टिप्पणी का अपना एक अलग मनोविज्ञान है । आप लिखते रहें ,पोस्ट आएंगी तो टिप्पणी भी आएंगी
मासूम जी १८ मेरा प्रिय नम्बर है , इसलिये हमने थोडा इन्तजार किया । आपने बहुत ही सरल तरीके से अच्छे ब्लॉग्स के पते दे दिये ।
एक साहब ने आपसे यह कहा " @ जनाब मासूम साहब ! आपको -140 टिप्पणियाँ न मिलना साबित करता है कि अभी आपको अपने लेख और बेहतर बनाने होंगे । " हम इस बात से सहमत नही अमन का पैगाम पहले बात तो साझा ब्लॉग ना होते भी साझा है और जो काम यह कर रहा है वो अपने आप मे अनूठा है । इस ब्लॉग से लोगो का जुडना ही इस बात को साबित करता है कि यह लोगों के दिल मे बसता है। और यह अपने आप में एक अलग उपलब्धि है ।
Masosm ji Rochak Tathya Pesh Kiya hai aapne , Waise Tippadi ka bhi apna ek alag mahtva hai" aur aaj to aapne iski samurn jeeva shaili hi pesh ker di.........................................uttam lekh ya uttam tippadi charcha ........dono hi rup me archa....
मासूम भाई मै तो शुरू में पाठक था अब भी पवन मिश्र जी की प्रेरणा से लिखने भी लगा हूँ कभी कभी अनचाही टिप्पणिया आपको परेशान भी कर सकती है 20th no. comment accept
बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने...अगर आप अपनी संतुष्टी के लिये लिखते हो तो टिप्पणी आये या नहीं,क्या फर्क पडता है. केवल टिप्पणी पाने के लिये बिना पढ़े किसी ब्लॉग पर टिप्पणी देना , अपने आप को धोका देना है. अगर रचना अच्छी है तो टिप्पणी आयेंगी ही, और अगर नहीं भी आयें तो क्या फर्क पडता है.अगर किसी पोस्ट पर १००,१५० टिप्पणी आती हैं,तो उसमें कुछ न कुछ तो बात होगी ही. बहुत रोचक और सार्थक आलेख.
जाकिर साहब सुबह से काम धंधा बंद कर के बस टिप्पणी ही गिन रहा हूँ. २४ आप ने कर दी सोंचा सिल्वर जुबिली खुद ही मना लूं २५ वीं टिप्पणी कर के . भाई आप सभी को सिल्वर जुबली मुबारक हो. कोई प्रेस वाला हो तो यह खबर प्रेस मैं भी दे दे. मासूम साहब हुए सिल्वर जुबली वाले ब्लोगर.
29 comments:
मुझे लगता है कि टिप्पणी एक व्यापार है, इस हाथ दे उस हाथ ले वाली बात टिपपणी पर सटीक बैठती है, वैसे भी असली पाठक "कोई ब्लोगर" नहीं होता, अधिकतर ब्लोगर सिर्फ इसलिए टिप्पणी करते हैं क्यूंकि वे चाहते हैं कि इसी बहाने आप भी उनके ब्लॉग पर आयें तो टिप्पणी कर दें,
आप तो सिर्फ असली पाठक की संख्या को गिनिए (google analytics) क्यूंकि असली पाठक टिप्पणी नहीं करता
@ भाई योगेन्द्र पाल जी ! आपसे मुलाकात आज शायद पहली बार हो रही है लेकिन मैं आपकी बात से प्रभावित भी हूँ और सहमत भी।
@ जनाब मासूम साहब ! आपको -140 टिप्पणियाँ न मिलना साबित करता है कि अभी आपको अपने लेख और बेहतर बनाने होंगे ।
अख़्तर ख़ान अकेला साहब के लेख आपसे बेहतर होते हैं । सुबूत हैं उनकी पोस्ट्स पर Zero टिप्पणियाँ जबकि वह खुदा का बंदा 713 ब्लॉग्स का फ़ॉलोअर भी है।
ये ब्लॉग जगत अद्भुत है ।
उनसे ज़्यादा टिप्पणियाँ तो अपना अनुज भंडाफोड़ू ले भागता है और Zero का दाग़ तो कभी अपने तारकेश्वर जौनपुरी की शर्ट के दामन पे भी न लगा ।
sahi kaha
टिप्पणियों के आने से हौसला बढ़ता है इसमें दो राय नहीं किन्तु महज टिप्पणी पाने के लिए विषय वास्तु बिना पढ़े टिप्पणी करना सही नही है
वैसे आपको टिप्पणियों को गिनने की जरूरत नही
bhaaijaan khavt he krm kiye jaa fl degaa bhgvaan lekhn kisi ki taarif kaa mohtaaj nhin achche lekh se khud hi aah or vaah niklti he or vese bhi aek din sb apni gltiyaan maankr jb aek dusre bhaai ke gle lgenge to bs unke paas apni gltiyon or naadaaniyon ke liyen rone ke sivaa kuchh nhin bchegaa vese bhaai salim,bhai masum or dr anvr jmaal saahb shit jitne bhi log bloging ki si duniya men nyaa pryog nye shodh kr rhe hen voh bdhaai ke paatr hen unhen bloging ke itihass me mil ka ptthr hi smjhaa jaayegaa . akhtar khan akela kota rajsthan
आपका कहना सही है ....
मासूम साहब। ये बातें पहले भी कई बार हो चुकी हैं कि स्थापित ब्लागरों की पोस्ट पर टिप्पणियों की बौछार होजाती है और नए कितना भी अच्छा लिख लें टिप्पणियों का टोंटा रहता है, लेकिन मेरा सोचना है कि स्थापित ब्लागरोंके पास यदि पाठक हैं टिप्पणियां आ रही हैं तो कुछ तो उनकी कलम में भी दम होगा। येबात भी सही नहीं कि नए को पाठक नहीं मिलते। अच्छा लिखो तो लोग आएंगे ही और टिप्पणी भी जरूर देंगे।
मैं इस बात में पवन जी की बात से सहमत हूं कि टिप्पणियों से हौसला मिलता है लेकिन सब कुछ टिप्पणियों के लिए करना ठीक नहीं।
चलिए साहब यह आठवीं टिप्पणी सम्हालिए ! आप अच्छा लिखते हैं, मासूम साहब को लोग खासा पहचानते हैं ! :-)
हार्दिक शुभकामनायें !
आठवीं टिप्पणी तो धमाल है . अब सतीश भी आप जैसे daimond Jublee अगर पहचान गए तो ,यकीन मान ना ही होगा कि लोग पहचानते हैं.
.
जनाब मासूम साहेब,
ये 'दस का दम' मेरी तरफ से.
140 का रेकार्ड आप भी ब्रेक कर सकें इस शुभकामना के साथ...
सुशील बाकलीवाल @ अरे भाई शुभ शुभ बोले , मुझे वैसे १४० नहीं चाहिए अपने १४-२४ आप जैसे , ही बहुत हैं.
लीजिए भाई एक मेरी तरफ से भी :)
बिल्कुल ब्लॉग जगत की सच्चाई लिख दी है..
110 तक तो मासूम जी ; हम भी एक बार रह चुके हैं। हमने दिखाया था कि शंकराचार्य सोने के सिंहासन पर बैठता है और जब वह मरता है तो उसे सोने के तखते पर लिटाया जाता है । फिर खजूरी दिल्ली में पानी भर गया और सारा काम ठप्प पड़ गया ।
आपको पढ़कर अच्छा लगा।
अच्छा विश्लेषण तो किया है, लिजिये हाजिर हो गये. :)
मेरे चार पांच घंटे खराब हो जाते हे, शाम को सब को पढना, फ़िर जल्दी से टिप्ण्णी करना, आज से आप का फ़ार्मुला चलेगा, सब से पहले आप पर..
अति सुंदर
मासूम भाई ,
जितना महत्वपूर्ण पोस्ट लिखना होता है उतना ही टिप्पणी करना भी । और टिप्पणी का अपना एक अलग मनोविज्ञान है । आप लिखते रहें ,पोस्ट आएंगी तो टिप्पणी भी आएंगी
मासूम जी १८ मेरा प्रिय नम्बर है , इसलिये हमने थोडा इन्तजार किया ।
आपने बहुत ही सरल तरीके से अच्छे ब्लॉग्स के पते दे दिये ।
एक साहब ने आपसे यह कहा "
@ जनाब मासूम साहब ! आपको -140 टिप्पणियाँ न मिलना साबित करता है कि अभी आपको अपने लेख और बेहतर बनाने होंगे । "
हम इस बात से सहमत नही
अमन का पैगाम पहले बात तो साझा ब्लॉग ना होते भी साझा है
और जो काम यह कर रहा है वो अपने आप मे अनूठा है ।
इस ब्लॉग से लोगो का जुडना ही इस बात को साबित करता है कि यह लोगों के दिल मे बसता है।
और यह अपने आप में एक अलग उपलब्धि है ।
Masosm ji Rochak Tathya Pesh Kiya hai aapne , Waise Tippadi ka bhi apna ek alag mahtva hai" aur aaj to aapne iski samurn jeeva shaili hi pesh ker di.........................................uttam lekh ya uttam tippadi charcha ........dono hi rup me archa....
मासूम भाई मै तो शुरू में पाठक था अब भी पवन मिश्र जी की प्रेरणा से लिखने भी लगा हूँ कभी कभी अनचाही टिप्पणिया आपको परेशान भी कर सकती है
20th no. comment accept
बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने...अगर आप अपनी संतुष्टी के लिये लिखते हो तो टिप्पणी आये या नहीं,क्या फर्क पडता है. केवल टिप्पणी पाने के लिये बिना पढ़े किसी ब्लॉग पर टिप्पणी देना , अपने आप को धोका देना है. अगर रचना अच्छी है तो टिप्पणी आयेंगी ही, और अगर नहीं भी आयें तो क्या फर्क पडता है.अगर किसी पोस्ट पर १००,१५० टिप्पणी आती हैं,तो उसमें कुछ न कुछ तो बात होगी ही. बहुत रोचक और सार्थक आलेख.
लीजिए हमने भी २२ वीं टिप्पणी पेल डाली... बहुत ही हलके-फुल्के अंदाज़ में बहुत ही गहरी बात कह डाली आपने..
Kailash C Sharma @इसी "कुछ " का विश्लेषण आवश्यक है. यह कुछ इंसान कि काबलियत भी हो सकता है और शैतानियत भी.
Ek aur badh gayi ji, gin zarur lena.
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क्या व्यर्थ जा रहें हैं तारीफ में लिखे कमेंट?
जाकिर साहब सुबह से काम धंधा बंद कर के बस टिप्पणी ही गिन रहा हूँ. २४ आप ने कर दी सोंचा सिल्वर जुबिली खुद ही मना लूं २५ वीं टिप्पणी कर के . भाई आप सभी को सिल्वर जुबली मुबारक हो. कोई प्रेस वाला हो तो यह खबर प्रेस मैं भी दे दे. मासूम साहब हुए सिल्वर जुबली वाले ब्लोगर.
हमारे मासूम साहेब तो कमाल के हैं., सब कुछ कह कर के भी कहते हैं कि राज कि बात हैं.
सतीश जी,
आप से सहमत, मासूम साहब की एक मासूम पहचान तो बनी ही है। अब देख लो न सब गिन गिन के दे रहे है और मासूम साहब गिन रहे है,टिप्पणियां!!
सहमत
और ये २९ वीं टिप्पणी :)
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