मैं लोगों के वेयूज़ लेकर क्या करूँगा |
जी हाँ हमरे बहुत
से ब्लॉगर ऐसे हैं जो टिपण्णी पाने के लिए अजीब अजीब हथकंडे अपनाते हैं |दिन भर
दूसरों के लिख पे टिपण्णी किया करते हैं चाहे उनकी कविता या लेख पसंद हों या न हों
| नतीजा यह होता है कि टिपण्णी करने वाला और पाने वाला दोनों जानते हैं कि यह
टिपण्णी उनके लेख या कविता का सही मूल्यांकन नहीं है |
यदि कोई टिपण्णी
आपके लिख के बारे में सच न कह सके तो ऐसी टिपण्णी का लेना देना दोनों समय कि
बर्बादी है| शायद इस बात को महसूस करते हुए महफूज़ जी ने कहा कि मैं लोगों के
वेयूज़ लेकर क्या करूँगा |
टिपण्णी करते समय न दोस्ती देखें, न यह विचार मन
में लाए कि सामने वाले की टिपण्णी का उधार चुकाना है या यह मेरे ब्लॉग पे टिपण्णी
नहीं करता ,तो मुझे विश्वास है ऐसी कि ऐसी ईमानदार टिपण्णी इस ब्लॉगजगत को सही
दिशा देगी और महफूज़ भाई भी कहने लगेंगे मुझे भी लोगों के व्यूज़ चाहिए |
4 comments:
ham tippani karte hue yh bikjuk nahin dekhte ki wh hame tippani deta hai ya nahin.
Nice post.
See:
ब्लॉगर्स मीट वीकली (40) The Last Sermon
http://hbfint.blogspot.in/2012/04/40-last-sermon.html
ok.
No Comment
सही कह रहे हैं आप ...सार्थक पोस्ट
सही कह रहे है आप|
टिप्पणियों से ज्यादा हमें पोस्ट व्यू देखना चाहिए साथ ही ब्लॉग पर आने वाले पाठकों की संख्या !!
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