अन्ना हजारे आज गिरफ्तार हुए. लोग सड़कों पे आ गए बहुत सी राजनितिक पार्टियों ने उनको सपोर्ट देना शुरू कर दिया. आगे क्या होगा यह तो वक़्त ही बता पाएगा लेकिन जो हालत हैं उससे यह समझ नहीं आ रहा कि ऊंट किस करवट बैठेगा.
हाँ यह तो समझ मैं अवश्य आ रहा है कि आम जानता मैं से जो खुद ग़लत तरीके से धन कमा रहे हैं वहीँ अन्ना का विरोध कर रहे हैं. और अन्ना को सपोर्ट भोली भाली जनता कर रही है जो की भर्ष्टाचार से तंग आ चुकी है. यह आम जानता यह भी नहीं जानती कि लोकपाल है क्या बस उसे इतना पता है भर्ष्टाचार के खिलाफ लड़ना है.
अन्ना हजारे ने कल रात कहा था कि सरकार बदलना कोई हल नहीं है क्यों कि यह सरकार जाएगी तो दूसरी वैसी ही सरकार आ जाएगी लेकिन फिर भी आप देख सकते हैं कि बहुत सी राजनितिक पार्टियाँ अन्ना के सहयोगी बन की सामने आ रहे हैं.
उनमें से बहुत से ऐसी भी हैं जिनका भ्रष्टाचार हटाने से कुछ लेना देना नहीं है बल्कि उनका मकसद इसी मुद्दे को ले कर कांग्रेस को हटाना और खुद कि सरकार बना लेना है.
आम जनता को चाहिए कि भ्रष्टाचार हटाने के विषय मैं सही क़दम उठाएं और इस पर गन्दी राजनीती से हट के काम करे. कहीं ऐसा ना हो कि भ्रष्टाचार हटाओ मुद्दा कुछ भ्रष्ट लोगों कि साजिश का शिकार हो जाए और दूसरे भ्रष्ट सरकार बना लें.
एक उदाहरण देता हूँ कि याद रहे रिश्वत देने और लेने वाला दोनों भ्रष्टाचार के सहयोगी हैं. आम जनता को दोनों मैं से किसी को भी सहयोग देने से परहेज़ करना चाहिए. यही भ्रष्टाचार कम करने का सबसे बेहतर तरीका है.
13 comments:
ऊंट तो अपनी करवट ही बैठेगा
गर बदलोगे किसी और जानवर से
फिर उम्मीद कर सकते हो
मनचाही करवट से बैठाने की
पर आज के हालात में
क्या ऐसा होना संभव है ?
शिकार खेलने के लिए अन्ना की आड़ जो मिल गई है सभी विरोधी दलों को!
कांग्रेस ने आपातकाल से कोई सबक नहीं लिया यह स्पष्ट नज़र आता है. उस वक़्त उसके पास इंदिरा गांधी जैसा करिश्माई नेतृत्व था जो तानाशाह बन सकती थी और सत्ता से बाहर होकर फिर उसे हासिल कर सकती थी. आज तो उनकी कद-काठी का कोई नेता कांग्रेस के पास है नहीं. एक हीरो कॉमेडी कर सकता है लेकिन एक कॉमेडीयन हीरो नहीं बन सकता. जेपी ने राजनैतिक दलों को सहभागी बनाकर भूल की थी. अन्ना हजारे इससे बच रहे हैं. इसका मतलब है कि 1074 में आन्दोलनकारियों की और से हुई गलतियों से उन्होंने सबक लिया है. यह आंदोलन भले ही लोकपाल विधेयक की और केन्द्रित है लेकिन पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में परिणत होने के बाद ही इसके सार्थक परिणाम आयेंगे. भारत की जनता जगती है लेकिन फिर तुरंत सबकुछ भूल कर सो भी जाती है. यदि आंदोलन से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं निकलती तो फिर पुरानी व्यवस्था और विकृत होकर वापस लौट आती है. ऐसा न हो यह प्रयास होना चाहिए. फिलहाल कांग्रेस के तर्क किसी के गले से नहीं उतर रहे और अन्ना का आंदोलन किस उपलब्धि तक पहुंचेगा इसका अंदाज़ा नहीं लग रहा. फिर भी लोकतंत्र में लोक का जगना एक शुभ संकेत ही होता है.
"आम जनता को चाहिए कि भ्रष्टाचार हटाने के विषय मैं सही क़दम उठाएं और इस पर गन्दी राजनीती से हट के काम करे. कहीं ऐसा ना हो कि भ्रष्टाचार हटाओ मुद्दा कुछ भ्रष्ट लोगों कि साजिश का शिकार हो जाए और दूसरे भ्रष्ट सरकार बना लें."
मासूम साहब बिकुल सही कहा है आपने ....यहाँ तो सब को अपनी रोटी सेकनी है बस , कोई पिसेगा तो बस वो होगा आम आदमी और उसे ही फैसला करना है कि वो किसका साथ देगा और कैसे देगा क्योकि अभी तो उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है वो तो बस 'भ्रस्टाचार हटाओ' इस इक शब्द को ही समझ पा रहा है और उसे इसका इक मात्र रास्ता अभी अन्ना जी ही दिख रहे है ...........भ्रस्टाचार हटेगा तभी जब खुद हर आदमी अपने आप में ये फैसला कर लेगा कि वो न तो खुद भ्रस्ट होगा और न ही किसी ओर को होने देगा जो भी इसका जिमीदार होगा उसे सिस्टम से हटा देना है शाएद ये ही इक रास्ता होगा जो भ्रस्टाचार को हटाने में हमारी मदद करेगा .............
आपका प्रयास और ये पोस्ट दोनों ही सार्थक है उम्मीद करता हूँ जल्द ही इस भ्रस्टाचार सब्द से हमे और समाज को मुक्ति मिल जाएगी
एक संतुलित विचार
अगर अनना की अहिंसात्मक आवाज दबाई गई तो फिर सरकार नक्सलियों के हिंसात्मक आन्दोलन को दबाने का नैतिक हक खो देगी
sarthak post.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
वाह ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
सार्थक पोस्ट आभार
♥ कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि अन्ना ख़ुद भ्रष्ट हैं।
हम कहते हैं कि यह मत देखो कौन कह रहा है ?
बल्कि यह देखो कि बात सही कह रहा है या ग़लत ?
क्या उसकी मांग ग़लत है ?
अगर सही है तो उसे मानने में देर क्यों ?
अन्ना चाहते हैं कि चपरासी से लेकर सबसे आला ओहदा तक सब लोकपाल के दायरे में आ जाएं और यही कन्सेप्ट इस्लाम का है।
कुछ पदों को बाहर रखना इस्लाम की नीति से हटकर है।
अन्ना की मांग इंसान की प्रकृति से मैच करती है क्योंकि यह मन से निकल रही है, केवल अन्ना के मन से ही नहीं बल्कि जन गण के मन से।
इस्लाम इसी तरह हर तरफ़ से घेरता हुआ आ रहा है लेकिन लोग जानते नहीं हैं।
♦ आत्मा में जो धर्म सनातन काल से स्थित है उसी का नाम अरबी में इस्लाम अर्थात ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है और भ्रष्टाचार का समूल विनाश इसी से होगा।
एक नई बात यह भी देखने में आ रही है की अब लोग बाग़ इस प्रकरण पर सीधी लड़ाई के मूड में हैं.
अच्छी लगी आपकी पोस्ट,आभार.
अच्छी लगी आपकी पोस्ट,आभार.
" Anna" ka prayas ek asadharan sarthak prayas sabit hoga-nishchit.kyuonki bhrashtacharya ka pani ab samanya janta ke sar se oopar uth chuka hai."
Meenakshi Srivastava
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