युवाओं की समस्या पे लिखा और मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने लेख को पढ़ा और अपने विवहार प्रकट किये. अधिकतर लोगों ने वैलेंटाइन डे से सहमती और असहमति पे तो अपने विचार प्रकट किए लेकिन बहुत कम लोगों ने विवाह की सही उम्र के बारे मैं बात की और इस समस्या का समाधान दिया की ….
“वो सेक्स की इच्छा जो १३-१५ साल से ही युवा महसूस करना शुरू कर देता है हमारे शादी की सही उम्र १८-२७ या ३५ कर देने से ख़त्म हो जाएगी?
यदि नहीं तो क्या यह आशा करना के हमारा युवा १० से २० वर्ष (शादी होने तक) इस इच्छा को दबा के रखेगा और अच्छे और संस्कार देने के भाषण देना क्या हकीकत से आंखें मोड़ना नहीं है?
क्या ऐसा नहीं लगता की हम सेक्स की सही उम्र की हकीकत से आँखें मोड़ के अपने युवाओं को शादी से पहले नाजायज शारीरिक संबध बनाने के लिए मजबूर करते हैं और इसका इलज़ाम भी उन्ही युवाओं पे रखते हैं”
अपने इस लेख को २ दिन का और समय दे रहा हूँ, इस आशा के साथ की कोई और ब्लोगेर इस समस्या का समाधान पेश शायद कर जाए..
अपने इस लेख के ज़रिये मैंने यह कोशिश की है की नारेबाजी से हट कर सामाजिक समस्याओं का हल मिल जुल कर निकला जाए. आशा है आप सभी का सहयोग मिलेगा. अगली पोस्ट मैं काबिल ए ज़िक्र टिप्पणी के साथ इस समस्या के समाधान को पेश किया जाएगा. यदि किसी पाठक को इस समस्या का कोई हल दिखता हो तो अवश्य बताएं और सामाजिक समस्याओं का हल मिल जुल के निकालने की कोशिश करें.
पूरा लेख पढ़ें और अपने विचार यहाँ प्रकट करें .
आभार
स.म.मासूम
मैंने अपने वैलेंटाइन डे के लेख मैं “वो सेक्स की इच्छा जो १३-१५ साल से ही युवा महसूस करना शुरू कर देता है हमारे शादी की सही उम्र १८-२७ या ३५ कर देने से ख़त्म हो जाएगी?
यदि नहीं तो क्या यह आशा करना के हमारा युवा १० से २० वर्ष (शादी होने तक) इस इच्छा को दबा के रखेगा और अच्छे और संस्कार देने के भाषण देना क्या हकीकत से आंखें मोड़ना नहीं है?
क्या ऐसा नहीं लगता की हम सेक्स की सही उम्र की हकीकत से आँखें मोड़ के अपने युवाओं को शादी से पहले नाजायज शारीरिक संबध बनाने के लिए मजबूर करते हैं और इसका इलज़ाम भी उन्ही युवाओं पे रखते हैं”
अपने इस लेख को २ दिन का और समय दे रहा हूँ, इस आशा के साथ की कोई और ब्लोगेर इस समस्या का समाधान पेश शायद कर जाए..
अपने इस लेख के ज़रिये मैंने यह कोशिश की है की नारेबाजी से हट कर सामाजिक समस्याओं का हल मिल जुल कर निकला जाए. आशा है आप सभी का सहयोग मिलेगा. अगली पोस्ट मैं काबिल ए ज़िक्र टिप्पणी के साथ इस समस्या के समाधान को पेश किया जाएगा. यदि किसी पाठक को इस समस्या का कोई हल दिखता हो तो अवश्य बताएं और सामाजिक समस्याओं का हल मिल जुल के निकालने की कोशिश करें.
पूरा लेख पढ़ें और अपने विचार यहाँ प्रकट करें .
आभार
स.म.मासूम
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