- ये बनते बिगड़ते रिश्ते रिश्तों का बनना और बिगड़ना एक आम सी बात है. जब भी कोई नया रिश्ता बनता है तो बहुत ख़ुशी होती है और उनके बिगड़ने का दुःख बहुत तकलीफ देता है, इसलिए इन रिश्तों को बनाने या बिगाड़ने के पहले हज़ार बार सोंचना चहिये वरना बाद मैं कहना पड़ता है, काश हमने ऐसा ना किया होता. रिश्ते भी दो प्रकार के हुआ करते हैं, एक वोह जो हमारे जन्म के साथ खुद बन जाते हैं, जैसे, माता पिता, मामा, चची , भाई बहन इत्यादि , और दूसरे वोह रिश्ते जो उम्र के हर दौर मैं हम स्वम बनाते जाते…
Thursday, November 4, 2010
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5 comments:
बहुत अच्छा पोस्ट , दीपवाली की शुभकामनाये
sparkindians.blogspot.com
thanx for coment. Happy deepawali.
Bahut hi sundar post.Wish you happy Diwali.
दीये की रौशनी, रंगोली की बहार, पटाखों की धूम और खुशियों की बहार , मुबारक हो आपको दीवाली का त्यौहार ....
बिल्कुल सच फ़रमाया सय्यद साहब ।
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