इस समाज मैं रहने वाला हर इंसान अमन और शांति चाहता है. हमारा देश भारतवर्ष अनेकता में एकता, सर्वधर्म समभाव तथा सांप्रदायिक एकता व सद्भाव के लिए अपनी पहचान रखने वाले दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है, परंतु दुर्भाग्यवश इसी देश में वैमनस्य फैलाने वाली तथा विभाजक प्रवृति की तमाम शक्तियां ऐसी भी सक्रिय हैं जिन्हें हमारे देश का यह धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी स्वरूप नहीं भाता.
हम सब इस समाज मैं मिल जुल के रहा करते हैं और हर एक के जीवन मैं ऐसी बहुत सी यादें हुआ करती हैं, जिसे हम अक्सर याद किया करते हैं, की कैसे हम दूसरे मज़हब के दोस्तों, पडोसिओं के साथ मिल जुल के त्यौहार मानते है? कैसे एक दूसरे के वक़्त पे काम आते हैं? आप सभी से अनुरोध है, ऐसी यादों को हम सब के साथ बांटें .
आप सब अपने विचार, तजुर्बे, यादें, ग़ज़ल ,कविता, इस समाज मैं शांति और सांप्रदायिक सौहाद्र के विषय पे २०० से ५०० शब्दों मैं मुझे भेजें., जिनको मैं आप के नाम और तस्वीर के साथ अपने ब्लॉग के ज़रिये लोगों तक पहुँचाने की कोशिश हर सप्ताह करूंगा.
आपने यदि पहले इस विषय पे कोई लेख़ लिखा हो तो लेख़ या उसका link भी आप इस पते पे भेज सकते हैं.
( admin@evasai.com )
ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे.
यदि आप की कलम मैं ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित मैं करें .
सादर
स .म.मासूम
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