फ्रांस में अब कोई भी मुस्लिम महिला बुर्का नहीं पहन पाएगी। फ्रांस की संसद में बुर्के पर प्रतिबंध लगाने का विधेयक पेश कर दिया है.
एक विडियो देखा जिसमें खुली टांगों के साथ बुर्का पहन के फ्रांस की कुछ औरतों ने बुर्के का मज़ाक उड़ाया. चलिए इनको तो नहीं मालूम शर्म ओ हया क्या होती है लेकिन इन तस्वीरों ने मेरे दिल मैं कई सवाल पैदा कर दिए.
क्या आज का मुसलमान इस्लाम का मज़ाक ऐसी ही नहीं उडाता?
जब कोई औरत खुद को मुसलमान भी कहती है और बेहिजाब भी रहती है.
जब कोई मर्द या औरत नमाज़ भी पढता है, और हराम की कमाई की फ़िक्र मैं भी रहता है.
ऐसी बहुत सी मिसालें मोजूद हैं.
कहीं यह तस्वीर आज के मुसलमान की तो नहीं?
कुरआन मैं ज़िक्र है: इंसानों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और क़ियामत पर ईमान ले आये हैं, परन्तु वह मोमिन नहीं हैं।(मुनाफ़िक़ यह समझते हैं कि) वह अल्लाह व मोमिनों को धोका दे रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि वह स्वयं को धोका देते हैं, लेकिन वह इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं।
इस्लाम को कभी भी कोई खतरा उनसे नहीं रहा जो इस्लाम को नहीं मानते , बल्कि हमेशा इस्लाम को नुकसान पहुँचाया है दो चेहरे (मुनाफ़िक़) वाले मुसलमानों ने, जो खुद को मुसलमान भी कहते हैं और हुक्म ए खुदा के खिलाफ चलते भी हैं.
एक विडियो देखा जिसमें खुली टांगों के साथ बुर्का पहन के फ्रांस की कुछ औरतों ने बुर्के का मज़ाक उड़ाया. चलिए इनको तो नहीं मालूम शर्म ओ हया क्या होती है लेकिन इन तस्वीरों ने मेरे दिल मैं कई सवाल पैदा कर दिए.
क्या आज का मुसलमान इस्लाम का मज़ाक ऐसी ही नहीं उडाता?
जब कोई औरत खुद को मुसलमान भी कहती है और बेहिजाब भी रहती है.
जब कोई मर्द या औरत नमाज़ भी पढता है, और हराम की कमाई की फ़िक्र मैं भी रहता है.
ऐसी बहुत सी मिसालें मोजूद हैं.
कहीं यह तस्वीर आज के मुसलमान की तो नहीं?
कुरआन मैं ज़िक्र है: इंसानों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और क़ियामत पर ईमान ले आये हैं, परन्तु वह मोमिन नहीं हैं।(मुनाफ़िक़ यह समझते हैं कि) वह अल्लाह व मोमिनों को धोका दे रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि वह स्वयं को धोका देते हैं, लेकिन वह इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं।
इस्लाम को कभी भी कोई खतरा उनसे नहीं रहा जो इस्लाम को नहीं मानते , बल्कि हमेशा इस्लाम को नुकसान पहुँचाया है दो चेहरे (मुनाफ़िक़) वाले मुसलमानों ने, जो खुद को मुसलमान भी कहते हैं और हुक्म ए खुदा के खिलाफ चलते भी हैं.
3 comments:
फोटो देखकर ये लगता ही नहीं की ये महिला बुरखा पहिने हैं बल्कि अन्य कपडे पहिनकर बुरखे का मजाक उड़ा रही है ..... बंद कर लेने का समाचार पढ़ा था ... बहुत ही प्रेरक पोस्ट.... आभार
सिंह में बहाव के विपरीत बहाने की प्रवृत्ति और सामर्थ्य दोनों होती हैं - ऐसी कहावत है. आज के रट्टू तोतों के बीच एक सिंह को देखकर प्रसन्नता हुई. आपके अवलोकन से सहमत हूँ.
YE ISLAAM KI TAUHEEN HEE NAHI YE AURATJAAT KEE TAUHEEN HAI... BHADDA MAJAAK HAI.. .
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