ईद के चांद ने वातावरण को एक नए रूप मे खुशगवार बना दिया. चांद देखते ही लोगों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. बच्चों की ईद इसलिए सबसे निराली होती है क्योंकि उन्हें नए-नए कपड़े पहनने और बड़ों से ईदी लेने की जल्दी होती है. बच्चे, चांद देख कर बड़ों को सलाम करते ही यह पूछने में लग जाते हैं कि रात कब कटेगी और मेहमान कब आना शुरू करेंगे. महिलाओं की ईद उनकी ज़िम्मेदारियां बढ़ा देती है. एक ओर सिवइयां और रंग-बिरंगे खाने तैयार करना तो दूसरी ओर उत्साह भरे बच्चों को नियंत्रित करना.
इस प्रकार ईद विभिन्न विषयों और विभिन्न रंगों के साथ आती और लोगों कोनए जीवन के लिए प्रेरित करती है.
हे ईश्वर के बंदों, रोज़ा रखने वालों को जो न्यूनतम वस्तु प्रदान की जाती है वह यह है कि रमज़ान महीने के अन्तिम दिन एक फ़रिश्ता पुकार-पुकार कर कहता हैः शुभ सूचना है तुम्हारे लिए हे ईश्वर के दासों कि तुम्हारे पापों को क्षमा कर दिया गया है अतः बस अपने भविष्य के बारे में विचार करो कि बाक़ी दिन कैसे व्यतीत करोगे?
ईदे फ़ित्र का दिन रोज़े रखने का पुरूस्कार है अतः मनुष्य को चाहिए कि वह इस दिन अपने लिए अपने समाज, देश तथा अन्य लोगों के लिए बहुत अधिक दुआ करे और ईश्वर से लोक-परलोक की भलाइयां मांगे. .
मुस्लिम हो या मुस्लिम न हो, बस वह ग़रीब होना चाहिए। वह भी नए कपड़े पहनेगा और हमारी ही तरह वह भी ख़ुदा की नेमतों से लुत्फ़ उठाएगा। जो मुसलमान इस महीने में अपने माल से ज़कात निकालते हैं, वे भी हिसाब लगाकर ज़कात दे दें। इसके बाद फिर सदक़ा वग़ैरह अलग से है और यह भी ग़रीबों के लिए ही है। मुसलमानों को ध्यान देना चाहिए कि उनका पैसा ग़रीबों के पास ही पहुंचे जो कि मदद के मुस्तहिक़ हैं, अल्लाह का हुक्म यही है और इसे पूरा करने के बाद भी मुसलमान को डरते रहना चाहिए कि उसके हुक्म को पूरा करने में कोई कमी तो नहीं रह गई है। अल्लाह अपना हक़ माफ़ कर सकता है लेकिन बंदों का हक़ वह माफ़ नहीं करेगा, यह उसने बता दिया है। ईद का मतलब यही है कि ख़ुद भी ख़ुशी मनाओ और दूसरों को भी ग़म के अंधेरों से निकालो, जितना भी हो सके। इस्लाम का रास्ता यही है। क़ुरआन का फ़रमान यही है। दुनिया को इसी रास्ते की तलाश है। आओ ईद मनाएं , सब मिलजुल कर !!
मुस्लिम हो या मुस्लिम न हो, बस वह ग़रीब होना चाहिए। वह भी नए कपड़े पहनेगा और हमारी ही तरह वह भी ख़ुदा की नेमतों से लुत्फ़ उठाएगा। जो मुसलमान इस महीने में अपने माल से ज़कात निकालते हैं, वे भी हिसाब लगाकर ज़कात दे दें। इसके बाद फिर सदक़ा वग़ैरह अलग से है और यह भी ग़रीबों के लिए ही है। मुसलमानों को ध्यान देना चाहिए कि उनका पैसा ग़रीबों के पास ही पहुंचे जो कि मदद के मुस्तहिक़ हैं, अल्लाह का हुक्म यही है और इसे पूरा करने के बाद भी मुसलमान को डरते रहना चाहिए कि उसके हुक्म को पूरा करने में कोई कमी तो नहीं रह गई है। अल्लाह अपना हक़ माफ़ कर सकता है लेकिन बंदों का हक़ वह माफ़ नहीं करेगा, यह उसने बता दिया है। ईद का मतलब यही है कि ख़ुद भी ख़ुशी मनाओ और दूसरों को भी ग़म के अंधेरों से निकालो, जितना भी हो सके। इस्लाम का रास्ता यही है। क़ुरआन का फ़रमान यही है। दुनिया को इसी रास्ते की तलाश है। आओ ईद मनाएं , सब मिलजुल कर !!
17 comments:
सभी को ईद मुबारक .....चाँद की दीद हुई और हमारी ईद हुई ....काश इन्सान को देख कर भी हमारे मनों में यह जज्बा पैदा होता ....आपका आभार
मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
कैसी खुशी ले के आया चाँद ईद का
ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद.
ईद बहुत बहुत मुबारक हो मासूम भाई ।
ईद मुबारक भाई मासूम जी॥
ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद.
मुस्लिम हो या मुस्लिम न हो, बस वह ग़रीब होना चाहिए। वह भी नए कपड़े पहनेगा और हमारी ही तरह वह भी ख़ुदा की नेमतों से लुत्फ़ उठाएगा।
जो मुसलमान इस महीने में अपने माल से ज़कात निकालते हैं, वे भी हिसाब लगाकर ज़कात दे दें। इसके बाद फिर सदक़ा वग़ैरह अलग से है और यह भी ग़रीबों के लिए ही है।
मुसलमानों को ध्यान देना चाहिए कि उनका पैसा ग़रीबों के पास ही पहुंचे जो कि मदद के मुस्तहिक़ हैं, अल्लाह का हुक्म यही है और इसे पूरा करने के बाद भी मुसलमान को डरते रहना चाहिए कि उसके हुक्म को पूरा करने में कोई कमी तो नहीं रह गई है।
अल्लाह अपना हक़ माफ़ कर सकता है लेकिन बंदों का हक़ वह माफ़ नहीं करेगा, यह उसने बता दिया है।
ईद का मतलब यही है कि ख़ुद भी ख़ुशी मनाओ और दूसरों को भी ग़म के अंधेरों से निकालो, जितना भी हो सके।
इस्लाम का रास्ता यही है।
क़ुरआन का फ़रमान यही है।
दुनिया को इसी रास्ते की तलाश है।
आओ ईद मनाएं , सब मिलजुल कर !!
"सभी देशवासियों को ईद की मुबारकवाद!"
मुस्लिम हो या मुस्लिम न हो, बस वह ग़रीब होना चाहिए। वह भी नए कपड़े पहनेगा और हमारी ही तरह वह भी ख़ुदा की नेमतों से लुत्फ़ उठाएगा।
जो मुसलमान इस महीने में अपने माल से ज़कात निकालते हैं, वे भी हिसाब लगाकर ज़कात दे दें। इसके बाद फिर सदक़ा वग़ैरह अलग से है और यह भी ग़रीबों के लिए ही है।
मुसलमानों को ध्यान देना चाहिए कि उनका पैसा ग़रीबों के पास ही पहुंचे जो कि मदद के मुस्तहिक़ हैं, अल्लाह का हुक्म यही है और इसे पूरा करने के बाद भी मुसलमान को डरते रहना चाहिए कि उसके हुक्म को पूरा करने में कोई कमी तो नहीं रह गई है।
अल्लाह अपना हक़ माफ़ कर सकता है लेकिन बंदों का हक़ वह माफ़ नहीं करेगा, यह उसने बता दिया है।
ईद का मतलब यही है कि ख़ुद भी ख़ुशी मनाओ और दूसरों को भी ग़म के अंधेरों से निकालो, जितना भी हो सके।
इस्लाम का रास्ता यही है।
क़ुरआन का फ़रमान यही है।
दुनिया को इसी रास्ते की तलाश है।
आओ ईद मनाएं , सब मिलजुल कर !!
"सभी देशवासियों को ईद की मुबारकवाद!"
ईद मुबारक।
ईद मुबारक मासूम भाई !
ईद मुबारक हो
ईद की दिली मुबारकबाद...
जय हिंद...
ईद मुबारक .....
MASOOM BHAI
EID MUBARAK HO
आदरणीय श्री एस.एम.मासूमजी
ईद मुबारक आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ..सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया
आप भी ईद-उल-फ़ित्र की बहुत-बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं!
ईद बहुत बहुत मुबारक हो!
ईद मुबारक भाई साहब.
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